नई दिल्ली में 23 सितंबर को आयोजित 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में भारतीय सिनेमा की बेहतरीन प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित कई महत्वपूर्ण श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए।
इस समारोह में मलयालम के दिग्गज अभिनेता मोहनलाल को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि शाहरुख खान को उनकी फिल्म ‘जवान’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। शाहरुख खान ने यह पुरस्कार विक्रांत मैसी के साथ साझा किया, जिन्हें फिल्म ‘12वीं फेल’ के लिए यह सम्मान दिया गया।
लेकिन इस कार्यक्रम की सबसे खास और ध्यान खींचने वाली शख्सियत मात्र 5 साल की त्रिशा विवेक थोसार रहीं, जिन्होंने अपनी मासूमियत और सहजता से सभी का दिल जीत लिया। त्रिशा ने मराठी फिल्म ‘नाल 2’ के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार प्राप्त किया, जिसे उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में शूट किया था।
सरल और खूबसूरत बेज रंग की साड़ी में सजी त्रिशा की मुस्कान और उनकी सहजता ने विज्ञान भवन में सबसे ज़्यादा तालियां बटोरीं। पुरस्कार ग्रहण करते समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई दी।
त्रिशा ने ANI से बातचीत में अपनी खुशी और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें यह सम्मान पाकर बेहद खुशी हुई है।
अन्य बाल कलाकारों को भी मिला सम्मान
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में कुल पांच बाल कलाकारों को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार दिया गया। त्रिशा थोसार के अलावा यह पुरस्कार श्रीनिवास पोकले, भार्गव जगताप, कबीर खंडारे और सुकृति वेणी बंदरेड्डी को भी प्रदान किया गया। लेकिन त्रिशा की मासूमियत और प्यारी मुस्कान ने उन्हें शाम की सबसे बड़ी स्टार बना दिया।
त्रिशा थोसार की फिल्मी यात्रा
अभी अपनी कम उम्र के बावजूद त्रिशा ने हिंदी और मराठी फिल्मों में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने महेश मांजरेकर और सिद्धार्थ जाधव के साथ काम किया है और मांजरेकर की निर्देशित फिल्म ‘पुन्हा शिवाजी राजा भोसले’ में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
उनका सबसे बड़ा ब्रेकआउट मराठी फिल्म ‘नाल’ के सीक्वल ‘नाल 2’ से आया, जिसने समीक्षकों और दर्शकों दोनों का ध्यान आकर्षित किया।
त्रिशा थोसार की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि भारतीय सिनेमा में युवा प्रतिभाओं के उज्जवल भविष्य का प्रतीक भी है।













