असम विधानसभा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानून पारित किया है, जिसके तहत मुस्लिम विवाहों और तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। यह कानून राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार द्वारा लाया गया, जिसमें मुस्लिम समुदाय के विवाह और तलाक की प्रक्रिया को विधिवत रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
मुख्यमंत्री सरमा ने इस विधेयक को पारित करते हुए कहा कि यह कदम राज्य में महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में उठाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कानून के लागू होने से विवाह और तलाक से जुड़े विवादों में कमी आएगी, और यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत होगी।
इस कानून के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री सरमा ने एक और बड़ा ऐलान किया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगला कदम बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का होगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार राज्य में बहुविवाह की प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह के कारण महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है, और इसे रोकने के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी।
यह कानून और मुख्यमंत्री द्वारा घोषित किए गए अगले कदम ने राज्य में एक नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस कानून की आलोचना की है, इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप बताया है। दूसरी ओर, महिलाओं के अधिकारों की हिमायती संस्थाओं ने इस कानून का स्वागत किया है और इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। असम सरकार का यह कदम राज्य की सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल सकता है और आने वाले समय में इस पर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर और भी चर्चाएँ हो सकती हैं।