मुंबई: गर्मी के मौसम में जब बड़े बजट की फिल्में धूमधड़ाका कर रही हैं, उसी बीच करण शर्मा की निर्देशित ‘भूल चूक माफ’ एक ताज़ा हवा के झोंके की तरह आई है। राजकुमार राव और वामिका गब्बी की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातों, माफ़ी, रिश्तों और उनके मायनों को बेहद सादगी और असरदार अंदाज़ में पेश करती है। फिल्म को 4 स्टार्स की रेटिंग मिल रही है, और इसे ज़रूर देखने लायक कहा जा रहा है।
कहानी जो दिल से निकली है
‘भूल चूक माफ’ की कहानी बनारस की गलियों से शुरू होती है और रिश्तों की गहराई तक जाती है। यह फिल्म दर्शकों को यह याद दिलाती है कि किसी को माफ करना, दूसरा मौका देना और दिल से माफ़ी मांगना, जीवन को कितना सरल और खूबसूरत बना सकता है। इसकी कहानी भले ही छोटी हो, लेकिन संदेश बहुत बड़ा है।
अदाकारी जो सच्ची लगती है
राजकुमार राव ने रंजन के किरदार को ऐसे निभाया है जैसे वो उन्हीं के लिए लिखा गया हो। वहीं वामिका गब्बी ‘तितली’ के रूप में बेहद स्वाभाविक और ताज़गी से भरपूर लगीं। सीमा पाहवा, संजय मिश्रा, रघुबीर यादव और ज़ाकिर हुसैन जैसे अनुभवी कलाकारों ने फिल्म को ज़मीन से जोड़कर रखा है। हर किरदार को बराबर की अहमियत दी गई है, जो आज की फिल्मों में कम देखने को मिलता है।
हास्य और भावनाओं का संतुलन
फिल्म का हास्य भी उसी घर-परिवार वाले अंदाज़ में आता है — न फूहड़, न ज़बरदस्ती का। संवाद इतने सहज हैं कि हँसी खुद-ब-खुद चेहरे पर आ जाती है। कई दृश्य गुदगुदाते हैं, तो कई आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
निर्देशन और संगीत की तारीफ़
करण शर्मा का निर्देशन परिपक्वता भरा है। उन्होंने फिल्म को भावनात्मक रूप से गहराई दी है बिना किसी अतिरिक्त नाटकीयता के। ‘टिंग लिंग सजना’ और ‘चोर बाज़ारी फिर से’ जैसे गाने केवल संगीत नहीं, बल्कि फिल्म की आत्मा हैं। बनारस की मिठास और लोक-स्वर में रचा संगीत फिल्म को और भी दिलकश बनाता है।
फिल्म क्यों देखें?
‘भूल चूक माफ’ उन फिल्मों में से एक है जो भले ही बड़ी न लगे, लेकिन दिल को छूने की काबिलियत रखती है। यह एक साफ-सुथरी, पारिवारिक फिल्म है जो हँसाती भी है, रुलाती भी है और रिश्तों की अहमियत फिर से याद दिलाती है।
निर्माता: दिनेश विजन
को-प्रोड्यूसर: शारदा कार्की जलोटा
बैनर: मैडॉक फिल्म्स
डायरेक्टर और राइटर: करण शर्मा
ड्यूरेशन: 121 मिनट
रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)