नई दिल्ली: भारत के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को बड़ा बल देते हुए जापान भारत को दो शिंकानसेन ट्रेन सेट—E5 और E3 सीरीज—भेंट करेगा। यह ट्रेन सेट मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के निर्माण कार्य के बीच परीक्षण और निरीक्षण के लिए उपयोग में लाए जाएंगे। जापानी अखबार ‘द जापान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेनें भारत को अगस्त 2027 में प्रस्तावित आंशिक संचालन से पहले महत्वपूर्ण संचालन संबंधी आंकड़े एकत्र करने में मदद करेंगी।
ट्रेन सेटों के 2026 की शुरुआत में भारत पहुंचने की उम्मीद है। ये विशेष रूप से जांच उपकरणों से लैस होंगी ताकि भारत के मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों—जैसे अत्यधिक गर्मी, धूल और आर्द्रता—में हाई-स्पीड रेल तकनीक की प्रभावशीलता का परीक्षण किया जा सके। इस डेटा से न केवल भारत को लाभ होगा, बल्कि जापान को भी अपनी अगली पीढ़ी की E10 सीरीज (अल्फा-X) ट्रेन के विकास में मदद मिलेगी, जिसे 2030 के शुरुआती वर्षों में लॉन्च किया जाना है।
JR ईस्ट द्वारा विकसित की गई E5 सीरीज ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं और अपनी एयरोडायनामिक डिजाइन, शांति भरे सफर और उच्च सुरक्षा मानकों के लिए जानी जाती हैं। वहीं, E3 सीरीज का उपयोग मिनी शिंकानसेन लाइनों पर होता है और यह भी सुरक्षा और टिकाऊपन के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि भारत ने शुरू में E5 ट्रेनें इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी, लेकिन परियोजना में हुई देरी और लागत वृद्धि के कारण अब अधिक उन्नत E10 सीरीज को प्राथमिकता दी जा रही है, जो 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है।
जापान का यह उपहार भारत और जापान के बीच बढ़ती सहयोग भावना को भी दर्शाता है। इस परियोजना के तहत भारतीय जरूरतों के अनुसार हाई-स्पीड रेल सिस्टम को ढालने पर भी काम हो रहा है, जिसमें यात्रियों के लिए अधिक सामान रखने की जगह और मौसम की मार झेलने की क्षमता जैसे सुधार शामिल हैं।
यह पहल भारत के ‘नेशनल रेल प्लान 2030’ का हिस्सा है, जिसमें जापान की सहायता अहम भूमिका निभा रही है। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के माध्यम से इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 80% फंडिंग की जा रही है, जिसकी शर्तें बेहद रियायती हैं—0.1% ब्याज दर और 50 वर्षों की चुकौती अवधि।
गौरतलब है कि इससे पहले भी जापान ने ताइवान को उसकी हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए शिंकानसेन तकनीक मुहैया कराई थी। भारत को किया गया यह सहयोग उसी परंपरा की अगली कड़ी है।