
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में अरविंद केजरीवाल की चौंकाने वाली हार न केवल आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के लिए भी एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। इस हार के बाद राहुल गांधी के गठबंधन के नेतृत्व को दोबारा हासिल करने की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं।
केजरीवाल को नहीं मिला INDIA गठबंधन का सहारा
केजरीवाल को इस चुनाव में ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे जैसे शीर्ष विपक्षी नेताओं का समर्थन मिला था। इस दौरान कांग्रेस कहीं न कहीं दिल्ली की सियासत में हाशिए पर चली गई। लेकिन अब, जब केजरीवाल खुद नई दिल्ली सीट से भाजपा के परवेश वर्मा से करीब 3,000 वोटों से हार गए, तब इस हार ने विपक्षी गठबंधन की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है।
AAP का पतन, भाजपा की मजबूत बढ़त
दिल्ली में इस बार भाजपा 70 में से 47 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। पिछले दस वर्षों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज AAP का किला दरकता नजर आ रहा है। केजरीवाल की इस हार का असर पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों में भी AAP के विस्तार पर पड़ सकता है।
राहुल गांधी के लिए सुनहरा मौका?
दिल्ली में भले ही कांग्रेस को कोई सीट न मिली हो, लेकिन यह हार कांग्रेस के लिए INDIA गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने का बड़ा अवसर बन सकती है।
पिछले कुछ महीनों से INDIA गठबंधन में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही थी। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अन्य क्षेत्रीय दलों के नेता केजरीवाल को समर्थन देकर कांग्रेस को पीछे धकेलने की कोशिश में थे। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया था कि ममता बनर्जी को INDIA गठबंधन की कमान संभालनी चाहिए।
उन्होंने कहा था, “कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को अपनी नाकामी स्वीकार करनी चाहिए और ममता बनर्जी को गठबंधन का नेता मानना चाहिए। महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस की हार दिखाती है कि पार्टी को अपनी नेतृत्व क्षमता पर पुनर्विचार करना होगा।”
अब INDIA गठबंधन की दिशा बदलेगी?
लेकिन केजरीवाल की हार के बाद यह पूरी कहानी बदल सकती है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पहले ही गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं और उन्हें अपने प्रदर्शन से नेतृत्व साबित करने की सलाह दे चुके हैं।
अब, शरद पवार और लालू प्रसाद यादव जैसे नेता, जो पहले ममता बनर्जी को समर्थन देने के संकेत दे रहे थे, वे भी राहुल गांधी को गठबंधन का नेतृत्व सौंपने पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
AAP के पतन से कांग्रेस को फायदा?
केजरीवाल की हार का असर न केवल दिल्ली बल्कि पंजाब और अन्य राज्यों में भी AAP की स्थिति को कमजोर कर सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय दलों के मुकाबले खुद को मजबूत करने का यह सुनहरा अवसर हो सकता है।
भले ही दिल्ली चुनाव कांग्रेस के लिए फायदेमंद न रहा हो, लेकिन केजरीवाल की हार ने राहुल गांधी के लिए INDIA गठबंधन में नेतृत्व की राह आसान कर दी है। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस मौके को कैसे भुनाती है और विपक्ष की राजनीति किस दिशा में जाती है।