उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिसमें अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है, जिससे धोखाधड़ी या जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कानून और सख्त हो गया है।
पहले महिला को धोखा देकर उससे शादी करने और उसका धर्म परिवर्तन कराने के दोषी पाए जाने वालों के लिए अधिकतम सजा 10 साल और 50,000 रुपये जुर्माना थी।
विधेयक के प्रावधान
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने 29 जुलाई को सदन में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के इरादे से किसी महिला, नाबालिग या किसी को धमकाता है, हमला करता है, शादी करता है या शादी का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है या तस्करी करता है, तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसे मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है।
संशोधित प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के मामलों में एफआईआर दर्ज करा सकता है। पहले सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़िता, उसके माता-पिता या भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी होती थी। प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की कोई अदालत नहीं करेगी और इसके साथ ही सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। साथ ही संशोधित अधिनियम के तहत सभी अपराधों को गैर-जमानती बना दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘लव जिहाद’ पर लगाम लगाने के इरादे से यह पहल की थी।
नवंबर 2020 में जबरन धर्मांतरण पर लगाम लगाने के लिए अध्यादेश जारी किया गया था और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 लागू हुआ।