नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) की शान और इतिहास का अहम हिस्सा रहे मिग-21 लड़ाकू विमान ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में आखिरी उड़ान भरते हुए देश के आकाश को अंतिम बार नमन किया। करीब 60 वर्षों तक भारत की वायु सुरक्षा का प्रमुख स्तंभ रहे इस विमान की विदाई को यादगार बनाने के लिए वायुसेना ने एक भव्य समारोह का आयोजन किया।
इस ऐतिहासिक मौके से पहले बुधवार (24 सितंबर) को फुल-ड्रेस रिहर्सल की गई, जिसमें मिग-21 ने जगुआर और सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम के साथ संयुक्त उड़ान भरी। इसके अलावा, आकाश गंगा स्काईडाइवर्स ने 4,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
1965 और 1971 के युद्ध की वीरगाथा दोहराई गई
मिग-21 की अंतिम उड़ान को खास बनाने के लिए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह स्वयं कॉकपिट में बैठे। उन्होंने पिछले महीने राजस्थान के नल एयरबेस से मिग-21 उड़ाया था। इस ऐतिहासिक विदाई के दौरान स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा अंतिम आधिकारिक उड़ान का नेतृत्व करेंगी।
समारोह में 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों की यादों को फिर से जीवंत किया गया, जहां मिग-21 की वीरता को प्रमुखता से दिखाया गया। भारतीय वायुसेना की 23वीं स्क्वाड्रन, जिसे “पैंथर्स” के नाम से जाना जाता है, विजय फॉर्मेशन में उड़ान भरेगी। इसके बाद मिग-21 और भारत के स्वदेशी तेजस विमान एक साथ “क्लाउड फॉर्मेशन” में उड़ते हुए नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में बदलाव का प्रतीक प्रस्तुत करेंगे।
जल तोप की सलामी के साथ विदाई
समारोह का सबसे भावनात्मक क्षण तब आया जब छह मिग-21 विमान एक साथ लैंड हुए और मुख्य मंच के सामने अंतिम बार बंद कर दिए गए। इसके बाद उन्हें वायुसेना की परंपरा के अनुसार जल तोप (वॉटर कैनन) की सलामी दी गई। इसके साथ ही, मिग-21 के दोनों सक्रिय स्क्वाड्रन – “कोब्रा” और “पैंथर्स” को औपचारिक रूप से सेवा से हटाया गया।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, थल, जल और वायु सेना प्रमुख, CDS जनरल अनिल चौहान, छह पूर्व वायुसेना प्रमुख और सभी वायुसेना कमानों के कमांडर मौजूद रहे।
गौरवशाली रहा मिग-21 का सफर
1950 के दशक में सोवियत संघ द्वारा डिजाइन किया गया मिग-21, 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था। भारत ने कुल 874 मिग-21 विमान खरीदे, जिनमें से अंतिम उन्नत संस्करण “बाइसन” को 2013 में सेवा में शामिल किया गया।
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों से लेकर करगिल युद्ध तक, मिग-21 ने कई अहम ऑपरेशन में हिस्सा लिया। 1971 में इसने ढाका के गवर्नर हाउस को बमबारी कर तबाह किया, जिससे पाकिस्तान की नेतृत्व शक्ति कमजोर पड़ी और आत्मसमर्पण की राह प्रशस्त हुई।
2019 के बालाकोट हवाई संघर्ष में एक मिग-21 बाइसन ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराकर दिखा दिया कि यह विमान अब भी प्रभावी है।
दुर्घटनाओं और उम्रदराज तकनीक के कारण सेवानिवृत्ति
मिग-21 की सबसे बड़ी कमजोरी इसका खराब सुरक्षा रिकॉर्ड रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, इसके सेवा में आने के बाद से 400 से अधिक मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। इनमें से कई हादसों का कारण पुरानी तकनीक, इंजन फेल होना और मेंटेनेंस की दिक्कतें रहीं।
विभिन्न अपग्रेड और सेवा विस्तार के बावजूद, मिग-21 को “फ्लाइंग कॉफिन” और “विडो मेकर” जैसे उपनाम मिले, जो इसके खतरनाक और असुरक्षित होने को दर्शाते हैं।
अब भारत की वायु शक्ति तेजस और राफेल जैसे अत्याधुनिक विमानों के साथ आगे बढ़ेगी, लेकिन मिग-21 का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में हमेशा गौरव, पराक्रम और बलिदान के प्रतीक के रूप में दर्ज रहेगा।













