Shardiya Navratri 2023 Day 3: हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती है। इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर तक है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर वीरता का संचार होता है। इसके साथ ही भय का नाश होता है और शत्रु पर विजय मिलती है। इसके साथ ही मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं, जिससे शुक्र ग्रह का बुरा प्रभाव कम होता है।
आज मां चंद्रघंटा की पूजा करने के साथ उनके मंत्र,चालीसा के साथ कवच का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि आज के दिन मां चंद्रघंटा के इस कवच, ध्यान मंत्र और स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाताहै। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आने का साथ-साध धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
माता चंद्रघंटा देवी कवच
॥ कवच ॥
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
माता चंद्रघंटा देवी स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥