वॉशिंगटन: अमेरिका में छह वर्षों के बाद एक बार फिर संघीय सरकार का शटडाउन हो गया है। बुधवार को सीनेट में फंडिंग बिल पास नहीं हो पाने के कारण सरकार की सभी गैर-जरूरी सेवाएं ठप हो गईं। यह संकट तब और गहरा गया जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय कर्मचारियों की नई छंटनी की चेतावनी दी।
सीनेट में 55-45 वोट से बिल पास नहीं हो पाया, जिससे आधी रात के बाद 12:01 बजे से शटडाउन लागू हो गया। यह 1981 के बाद अमेरिका में 15वां सरकारी शटडाउन है।
शटडाउन का असर किन-किन पर पड़ेगा?
इस शटडाउन के कारण कई अहम सेवाएं प्रभावित होंगी। सितंबर की रोजगार रिपोर्ट जारी नहीं होगी, हवाई यात्रा धीमी हो सकती है, वैज्ञानिक अनुसंधान रुकेगा, अमेरिकी सैनिकों को वेतन नहीं मिलेगा, और लगभग 7.5 लाख संघीय कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा जाएगा। इससे सरकार को प्रतिदिन लगभग 400 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा।
सरकार का शटडाउन होता क्या है?
जब अमेरिकी कांग्रेस समय पर बजट पारित नहीं कर पाती और राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर नहीं करते, तब कई संघीय एजेंसियों को फंडिंग नहीं मिलती। जिन एजेंसियों की फंडिंग बाधित होती है, वे अपना कामकाज रोक देती हैं। इस दौरान गैर-जरूरी सेवाओं के कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेजा जाता है।
शटडाउन के दौरान क्या होता है?
शटडाउन लागू होने के बाद “नॉन-एक्सेप्टेड” कर्मचारियों को फर्लो यानी अस्थायी छुट्टी पर भेजा जाता है। “एक्सेप्टेड” कर्मचारी — जैसे कि जीवन और संपत्ति की रक्षा से जुड़े लोग — काम पर तो बने रहते हैं लेकिन उन्हें वेतन शटडाउन खत्म होने तक नहीं मिलता।
व्हाइट हाउस का ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट सभी एजेंसियों को निर्देश देता है कि वे “शटडाउन गतिविधियां” शुरू करें। यह निर्देश मंगलवार शाम को जारी कर दिया गया था।
कौन-कौन सी सेवाएं जारी रहेंगी?
एफबीआई, सीआईए, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और हवाई अड्डों पर सुरक्षा एजेंसियों का काम चलता रहेगा। सशस्त्र बलों के जवान ड्यूटी पर बने रहेंगे।
जो कार्यक्रम “अनिवार्य खर्च” पर आधारित हैं, वे शटडाउन के दौरान भी जारी रहते हैं। सोशल सिक्योरिटी पेमेंट्स जारी रहेंगी। बुजुर्ग लोग मेडिकेयर के तहत डॉक्टर से इलाज करवा सकेंगे और स्वास्थ्य सेवाएं जारी रहेंगी।
पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवाएं भी चालू रहेंगी। वेटरन्स अफेयर्स के अस्पताल और क्लीनिक खुले रहेंगे। पूर्व सैनिकों को मिलने वाले लाभ मिलते रहेंगे और राष्ट्रीय कब्रिस्तानों में दफन की प्रक्रिया भी जारी रहेगी।