जगन्नाथ रथयात्रा की 10 रोचक बातें, जानकर हो जाएंगे हैरान

7 जुलाई को जगन्नाथ जी, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे

8-15 जुलाई तक रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे. यहां उनके लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं.

रथ यात्रा का समापन 16 जुलाई को तीनों देवी देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे तब होगा.

बलराम जी के रथ को तालध्‍वज कहते हैं और इसका रंग लाल और हरा होता है।

बहन सुभद्रा के रथ को दर्पदलन कहा जाता है और यह काले व नीले रंग का होता है।

भगवान कृष्‍ण के रथ को गरुड़ध्‍वज कहते हैं और इसका रंग लाल व पीला होता है।

रथ की लकड़ी के लिए नीम के पेड़ का चयन किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बने होते हैं, जिसे दारु कहा जाता है।

बताया जाता है कि रथ को बनाने में किसी प्रकार की कील या फिर अन्‍य कांटेदार चीजों का प्रयोग नहीं होता है।

गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहलाता है।

लकड़ी का चयन बसंत पंचमी तिथि से कर दिया जाता है और रथ का निर्माण अक्षय तृतीया के दिन से आरंभ होता है।