भारत का राष्ट्रीय ध्वज किसने डिजाइन किया था, क्यों होते हैं इसमे सिर्फ 3 कलर

विश्व में भारत की पहचान का एक प्रमुख प्रतीक हमारा तिरंगा है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है

इसलिए इसे तिरंगा भी कहते हैं। इस तिरंगे के बीचो बीच एक गोल चक्र है।

तिरंगे के हर रंग से लेकर चक्र और चक्र में मौजूद तीलियों की संख्या तक सब कुछ देश के लिए प्रतीक की तरह है।

लेकिन कभी आपने सोचा कि भारतीय तिरंगे को बनाया किसने है?

तिरंगे का निर्माण करने वाले शख्स का नाम पिंगली वेंकैया है। 1921 में, पिंगली वेंकैया ने भारतीय ध्वज का डिजाइन किया था।

भारत के लिए एक बेहतर ध्वज का निर्माण आसान नहीं था। पिंगली वेंकैया ने कई प्रयोगों के बाद ऐसा ध्वज डिजाइन किया जो भारतीय संस्कृति को सही तरीके से दर्शा सके।

पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक लगभग 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया।

जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। उस समय के तिरंगे और आज के तिरंगे में कुछ अंतर हैं।

तब तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था। वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी।

लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर दिया गया।

तिरंगे को भारतीय ध्वज के रूप में मान्यता मिलने में करीब 45 साल लगे। शुरू में चरखे के बजाय अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया गया।

22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को अपना लिया गया।

तिरंगे के रंगों का मतलब

तिरंगे में मौजूद तीन रंग हैं- केसरिया, सफेद और हरा। तीनों रंगों का अपना विशेष महत्व है।

केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है। सफेद रंग शांति और सच्चाई को दर्शाता है। वहीं हरा रंग संपन्नता का प्रतीक है।

तिरंगे में सफेद रंग पर नीला अशोक चक्र होता है, जिसे कर्तव्य का पहिया कहा जाता है। इसके 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं।