क्यों रखते हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें इसका महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व होता है| एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है 

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का त्योहार मनाया जाता है 

पुत्रदा एकादशी सावन माह के सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है जो शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 को पड़ रही है।

यह एकादशी श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है और भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सावन पुत्रदा एकादशी कथा 

*द्वापर युग में महिष्मतीपुरी के राजा महीजित शांति और धर्मप्रिय थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी।

* शुभचिंतकों ने महामुनि लोमेश को बताया कि राजा ने एक एकादशी को प्यासी गाय को पानी पीने से रोक दिया था, जो धर्म के खिलाफ था।

* जिसके कारण पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों के फल राजा बने , लेकिन एक पाप के कारण संतान विहीन थे।

* महामुनि ने कहा कि यदि राजा के शुभचिंतक श्रावण शुक्ल एकादशी को व्रत करें और उसका पुण्य राजा को दें, तो उन्हें संतान प्राप्त होगी।

* राजा और प्रजा ने व्रत रखा, और कुछ महीनों बाद रानी ने पुत्र को जन्म दिया। तभी से इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की व्रत विधि 

इस दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाएं. तुलसी, फल और तिल से भगवान की पूजा करें 

दिन के लिए तिथि और समय का विवरण:

पुत्रदा एकादशी 15 अगस्त 2024 की रात 10:26 बजे से शुरू होगी और 16 अगस्त 2024 की रात 9:39 बजे समाप्त होगी। 

पाराना 17 अगस्त को सुबह 5:51 से 8:05 बजे के बीच किया जा सकता है।

इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे सिंह संक्रांति के नाम से जाना जाता है।