
महाराष्ट्र के पंढरपूर में एक चौंकाने वाला मेडिकल धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां एक 10वीं पास व्यक्ति, दत्तात्रय सदाशिव पवार, बिना किसी मेडिकल डिग्री के लोगों का इलाज कर रहा था। वह पिछले तीन सालों से क्लिनिक चला रहा था और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटीज और हड्डी संबंधी बीमारियों का इलाज कर रहा था, जबकि उसे चिकित्सा क्षेत्र का कोई अनुभव या योग्यताएं नहीं थीं।
आश्चर्यजनक रूप से, पवार ने खुद यह स्वीकार किया कि उसने केवल सातारा में चार दिन की अनौपचारिक ट्रेनिंग ली थी, जो उसने अपना क्लिनिक खोलने की बुनियाद बताई। हर परामर्श के लिए ₹500 चार्ज करने वाले पवार ने रोजाना 70-80 मरीजों का इलाज किया, जिससे वह अच्छी खासी कमाई कर रहा था, लेकिन इसके साथ ही उसने सैकड़ों मरीजों की जान जोखिम में डाल दी थी। पवार का यह धोखाधड़ी का कारोबार पंढरपूर तक सीमित नहीं था, बल्कि उसने शिरडी के पास स्थित शेगांव में भी अपनी सेवाएं दी थीं, जहां उसने बड़ी संख्या में मरीजों को आकर्षित किया था।
यह मामला तब सामने आया जब कुछ स्थानीय निवासियों ने स्वास्थ्य विभाग को संदेहास्पद गतिविधियों की सूचना दी, जिसके बाद विभाग ने क्लिनिक पर छापा मारा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों के सहयोग से कार्रवाई की और पाया कि पवार के पास न तो कोई वैध मेडिकल लाइसेंस था और न ही वह क्लिनिक चलाने के लिए आवश्यक प्रमाण पत्रों का मालिक था। छापे के दौरान कई मेडिकल उपकरण और आपूर्ति भी बरामद की गई, जो इस धोखाधड़ी की गंभीरता को साबित करते हैं।
तत्काल प्रभाव से पवार के क्लिनिक को बंद कर दिया गया और पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू की। अब इस मामले की गहन जांच की जा रही है, यह पता लगाने के लिए कि क्या क्षेत्र में और भी ऐसे मामले हो सकते हैं या फिर इस धोखाधड़ी को संचालित करने में अन्य लोग भी शामिल थे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों ने इस घटना के बाद चिकित्सा नियमों के पालन को और सख्त बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमित निरीक्षणों और कड़ी निगरानी की जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी भी बेवजह के चिकित्सीय खतरों से बचा जा सके।
यह घटना न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि बिना उचित प्रशिक्षण और प्रमाण पत्रों के चिकित्सा का व्यापार करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह लोगों की जिंदगी से खेलना भी है।