26/11 मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर, रतन टाटा की यह साहसिक और प्रेरणादायक टिप्पणी एक बार फिर सुर्खियों में है। मुंबई का ताज होटल, जो टाटा ग्रुप की प्रतिष्ठित संपत्ति है, उस भीषण हमले का मुख्य निशाना था। रतन टाटा ने अपने इस बयान के जरिए न केवल बहादुरी और देशभक्ति की मिसाल पेश की बल्कि यह भी दिखाया कि देश की सुरक्षा किसी भी संपत्ति या निजी हित से बड़ी है।
26 नवंबर 2008 को, पाकिस्तान समर्थित 10 आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला कर 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली। ताज होटल, जहां दर्जनों मेहमान और कर्मचारी बंधक बनाए गए थे, उस त्रासदी का मुख्य केंद्र बना। हमले के दौरान टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने यह संदेश दिया था कि देशहित सर्वोपरि है। उन्होंने सुरक्षा बलों से आग्रह किया था कि किसी भी आतंकी को जिंदा नहीं बचना चाहिए, चाहे इसके लिए उनकी संपत्ति को नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े।
रतन टाटा के इस कथन ने न केवल भारतीयों को गौरव महसूस कराया, बल्कि यह भी दिखाया कि कठिन समय में एक सच्चा नेतृत्व कैसे अपना कर्तव्य निभाता है। ताज होटल की मरम्मत और पुनर्निर्माण के बाद इसे एक बार फिर शुरू किया गया, जो भारत की जिजीविषा और साहस का प्रतीक बन गया।
आज, 26/11 की 16वीं बरसी पर, यह बयान एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि आतंक के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होना ही असली जवाब है। रतन टाटा का यह साहसिक दृष्टिकोण हमें न केवल प्रेरित करता है बल्कि राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को भी सलाम करता है।