उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बांग्लादेश में हालिया घटनाओं की तुलना अयोध्या और संभल में मुग़ल शासक बाबर की सेना की कार्रवाइयों से की, जिससे एक नया विवाद पैदा हो गया है। वह अयोध्या में 43वें रामायण मेले के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे।
सामाजिक एकता की बात करते हुए कसा विपक्ष पर तंज
योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम की सामाजिक एकता की विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि देश ने एकता को प्राथमिकता दी होती, तो भारत कभी गुलाम नहीं होता। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की, जो समाज में बंटवारा पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कुछ राजनीतिक दल जाति-आधारित राजनीति के जरिए समाज का ताना-बाना तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
बाबर से तुलना कर विवादित बयान
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जो लोग आज बांग्लादेश में हो रही घटनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं, उनकी मानसिकता वही है, जो 500 साल पहले बाबर के सेनापति की थी।” उन्होंने बांग्लादेश और भारत में हो रही सांप्रदायिक हिंसा के बीच समानताएं खींचीं, और यह भी आरोप लगाया कि कुछ विभाजनकारी ताकतें विदेशों में संपत्ति जमा कर रही हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
संभल हिंसा और बांग्लादेश में अशांति का जिक्र
योगी आदित्यनाथ ने संभल में हुई हिंसा का भी जिक्र किया, जो तब हुई जब अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। यह मस्जिद कथित तौर पर हरिहर मंदिर के स्थान पर बनी थी। इस हिंसा में चार मुस्लिम लोग मारे गए थे और 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इसके साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश में अगस्त में शुरू हुए छात्र विरोध प्रदर्शन और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों का भी जिक्र किया, जिसके बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है।
विपक्ष ने किया आलोचना
मुख्यमंत्री के बयान पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने योगी आदित्यनाथ की भाषा को विभाजनकारी बताया और कहा कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में और अधिक मतभेद पैदा करती हैं।
अंत में
योगी आदित्यनाथ की टिप्पणियों ने एक बार फिर उन्हें सुर्खियों में ला दिया है और उनके बयानों पर बहस शुरू कर दी है। उनकी टिप्पणी ने राजनीति और समाज में विभाजन के मुद्दे पर एक नई बहस खड़ी कर दी है।