सूरत पुलिस ने अवैध तरीके से चिकित्सा सेवा देने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों व्यक्ति खुद को डॉक्टर बताकर मरीजों का इलाज कर रहे थे, जबकि उनके पास कोई वैध मेडिकल डिग्री नहीं थी। गिरफ्तार किए गए आरोपियों का नाम ललिता क्रीपा शंकर सिंह और प्रयाग रामचंद्र प्रसाद है। ये दोनों सूरत शहर में एक क्लिनिक चला रहे थे, जहां वे मरीजों को एलोपैथी दवाइयां देते थे।
डीसीपी विजय सिंह गुर्जर ने बताया कि ललिता, जो सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं, और प्रयाग, जिन्होंने केवल 10वीं तक की पढ़ाई की है, को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों के पास किसी भी प्रकार की वैध चिकित्सा डिग्री या प्रमाणपत्र नहीं थे। पुलिस ने उनकी क्लिनिक से कई दवाइयां और जरूरी दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
यह गिरफ्तारी उमरा पुलिस थाने ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर की। यह कार्रवाई शहर में फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ चल रही एक बड़े अभियान का हिस्सा है। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन आरोपियों ने कितने समय तक अवैध चिकित्सा सेवाएं दी और उनकी धोखाधड़ी की सीमा कितनी थी। दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
हो चुका है पहले
इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में पंडेसरा पुलिस ने एक बड़े फर्जी डॉक्टर डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया था। यह रैकेट लगभग दो दशकों से चल रहा था और इसमें 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता भी शामिल थे। इस रैकेट के जरिए करीब 1,500 लोग बिना किसी योग्य डॉक्टर की डिग्री के इलाज कर रहे थे।
मुख्य आरोपियों में डॉ. बी.के. रावत और डॉ. रसेश गुजराती का नाम सामने आया है। ये दोनों अहमदाबाद से फर्जी बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मेडिसिन (BEMS) डिग्रियां जारी करते थे, जिसके बदले वे हर डिग्री के लिए लगभग 75,000 रुपये लेते थे। प्रारंभिक जांच से यह सामने आया है कि उन्होंने अपनी अवैध गतिविधियों से 10 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी।
यह रैकेट तब सामने आया जब पुलिस ने पंडेसरा में तीन क्लिनिक—कविता क्लिनिक, प्रिंस क्लिनिक, और श्रेयान क्लिनिक—का संचालन करते हुए अवैध डॉक्टरों को पकड़ा। डीसीपी विजय सिंह गुर्जर ने बताया कि इन फर्जी डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों की जांच करने पर पता चला कि वे डॉ. रसेश गुजराती से BEMS डिग्री प्राप्त कर रहे थे, जो कि अहमदाबाद में स्थित एक गैर-मौजूद ‘बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मेडिसिन’ से जारी की जाती थी। गुजराती के घर पर छापेमारी करने पर कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।
इन दोनों मामलों ने सूरत और आसपास के क्षेत्रों में फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ जागरूकता बढ़ा दी है, और पुलिस की कार्रवाई से यह संदेश भी गया है कि अब इस तरह की अवैध गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।