नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। वर्षभर में आने वाली 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी को सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रत माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत कब है?
इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 (गुरुवार) को रखा जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। गृहस्थ जन 6 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे और 7 जून को पारण करेंगे। वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 जून को व्रत रखेंगे और 8 जून को पारण करेंगे।
निर्जला एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 जून को रात 2:15 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 7 जून को सुबह 4:47 बजे
- निर्जला एकादशी पारण तिथि: 7 जून 2025
- पारण का समय: दोपहर 1:57 बजे से 4:36 बजे तक
निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इसका पालन बिना जल ग्रहण किए किया जाता है, जिससे इसे अत्यधिक कठिन माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सालभर की सभी एकादशियों का व्रत नहीं कर पाता, वह केवल निर्जला एकादशी का व्रत रखकर सभी एकादशियों का पुण्य अर्जित कर सकता है। यह व्रत आत्म संयम, श्रद्धा और भक्तिभाव का प्रतीक माना जाता है।
पारण की प्रक्रिया
निर्जला एकादशी का पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। व्रतधारी को उचित समय पर जल और फलाहार से पारण करना चाहिए।
यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पुराणों पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी श्रद्धा, स्वास्थ्य और सुविधा के अनुसार निर्णय लें।