इस्लामाबाद/वॉशिंगटन/नई दिल्ली: पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के बाद अब वहां की वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू भी अमेरिका दौरे पर हैं। यह यात्रा न केवल पाक-अमेरिका रक्षा संबंधों की पुनर्बहाली का संकेत देती है, बल्कि दक्षिण एशिया में कूटनीतिक समीकरणों के पुनः आकार लेने का भी संकेत है। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में यह पहली बार है जब कोई मौजूदा पाकिस्तान एयरफोर्स चीफ अमेरिका पहुंचे हैं। पाकिस्तान एयरफोर्स ने इस दौरे को ‘रणनीतिक मील का पत्थर’ करार दिया है।
अमेरिका के साथ बढ़ेगा रक्षा सहयोग
PAF के अनुसार, एयर चीफ सिद्दू ने पेंटागन में अमेरिकी वायुसेना प्रमुख जनरल डेविड ऑल्विन और इंटरनेशनल अफेयर्स की सेक्रेटरी केली एल. सेयबोल्ट से मुलाकात की। बातचीत के दौरान संयुक्त प्रशिक्षण, तकनीकी साझेदारी और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका से एफ-16 ब्लॉक 70 लड़ाकू विमान, HIMARS रॉकेट सिस्टम और आधुनिक वायु रक्षा तकनीक खरीदने की योजना बना रहा है।
चीन से मोहभंग?
पाकिस्तान अब चीन से दूर होता नजर आ रहा है। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तानी सेना को भारतीय वायुसेना के हाथों भारी झटका लगा। इस दौरान चीन से मिले हथियारों की कमजोर परफॉर्मेंस ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी। भारत ने इस संघर्ष के दौरान चीन की पीएल-15ई मिसाइल को जब्त किया था। जब चीनी रक्षा मंत्रालय से इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब देने से बचते हुए केवल इतना कहा कि “प्रणालियों का प्रदर्शन औसत से कम था”।
यही कारण है कि पाकिस्तान अब अमेरिका की ओर झुकता दिख रहा है।
भारत की चिंता बढ़ी
भारत इस कूटनीतिक बदलाव को गंभीर नजरों से देख रहा है। एक ओर जहां पाकिस्तान पहले से ही चीन का रणनीतिक साझेदार रहा है, अब अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकती हैं। पाकिस्तान ने जहां डोनाल्ड ट्रंप को सीजफायर का श्रेय दिया और नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की, वहीं भारत इस ऑपरेशन को पूर्णत: द्विपक्षीय निर्णय मानता रहा है। भारत को आशंका है कि अमेरिका में बदलाव की स्थिति (विशेषकर ट्रंप की वापसी की सूरत में) में पाकिस्तान के प्रति रुख फिर से नरम हो सकता है।
क्या फिर से जुड़ रहे हैं भारत-पाकिस्तान?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान को एक ही पलड़े में तौलने की नीति यानी ‘री-हाइफनिंग’ फिर से लौट सकती है। 9/11 के बाद अमेरिका ने इस नीति को खत्म कर दिया था और भारत को रणनीतिक रूप से ऊपर स्थान दिया गया था। बोल्टन ने कहा, “पाकिस्तान अब चीन के प्रभाव में है, जो अंततः उसके लिए लाभकारी नहीं होगा। लेकिन अब री-हाइफनिंग की संभावना फिर से बढ़ रही है।”
भारत की अगली रणनीति?
अमेरिका-पाकिस्तान की नजदीकी को देखते हुए भारत अब नए कूटनीतिक साझेदारों की तलाश और पुराने सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा। भारत की कोशिश होगी कि दक्षिण एशिया में संतुलन बनाए रखा जाए और अमेरिका को यह स्पष्ट संदेश मिले कि सुरक्षा और स्थिरता के लिए भारत ही क्षेत्र में सबसे भरोसेमंद साथी है।