25 साल बाद कानून के शिकंजे में मोनिका कपूर, जानिए कितनी बड़ी खिलाड़ी है Monika Kapoor

25 साल बाद कानून के शिकंजे में मोनिका कपूर, जानिए कितनी बड़ी खिलाड़ी है Monika Kapoor
25 साल बाद कानून के शिकंजे में मोनिका कपूर, जानिए कितनी बड़ी खिलाड़ी है Monika Kapoor

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को एक बड़ी कामयाबी मिली है। आर्थिक अपराधों की आरोपी मोनिका कपूर को 25 साल के लंबे फरार रहने के बाद अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। CBI अधिकारियों ने बुधवार को जानकारी दी कि मोनिका कपूर को अमेरिका के न्यूयॉर्क से प्रत्यर्पण के बाद हिरासत में लेकर भारत लाया जा रहा है।

वह अमेरिकन एयरलाइंस की एक उड़ान में भारत आ रही हैं, जो देर रात भारत में लैंड करेगी।

1999 में भाग गई थी अमेरिका

मोनिका कपूर वर्ष 1999 में एक धोखाधड़ी के मामले में संलिप्तता के बाद अमेरिका भाग गई थी। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर एक ज्वैलरी व्यवसाय से जुड़े नकली दस्तावेज़ तैयार किए, जिनके माध्यम से उन्होंने ड्यूटी-फ्री लाइसेंस प्राप्त किए और कच्चा माल आयात किया। इससे भारतीय खजाने को 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब ₹5.7 करोड़) का नुकसान हुआ।

2010 में भारत ने मांगी थी प्रत्यर्पण की अनुमति

भारत सरकार ने अक्टूबर 2010 में मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध किया था। इसके बाद अमेरिका की ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, न्यूयॉर्क ने इस मामले में भारत–अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत फैसला सुनाया और कपूर के भारत प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दी।

मानवाधिकार उल्लंघन का बहाना नहीं बना

मोनिका कपूर ने अदालत में दलील दी थी कि भारत में लौटने पर उन्हें यातना दी जा सकती है, जो संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) और अमेरिका के FARRA कानून का उल्लंघन होगा। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस दलील को खारिज करते हुए संपूर्ण प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दे दी।

CBI के लिए बड़ी जीत

CBI के अनुसार, मोनिका कपूर की वापसी लंबे समय से फरार आर्थिक अपराधियों को कानून के दायरे में लाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह मामला उन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधों में से एक है जिसमें भारतीय एजेंसियों को कानूनी, कूटनीतिक और तकनीकी स्तर पर लंबा संघर्ष करना पड़ा।

मोनिका कपूर की प्रत्यर्पण के साथ ही CBI को एक बड़ी सफलता मिली है। यह मामला न केवल भारत की जांच एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय साख को मज़बूत करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अब आर्थिक अपराधियों के लिए देश छोड़कर भाग जाना कोई स्थायी समाधान नहीं रह गया है।

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मोनिका कपूर पर भारत में कानूनी कार्रवाई किस तरह आगे बढ़ती है और उनके दो भाइयों की भूमिका की जांच कैसे की जाती है।