बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा ऐलान किया है, 1 अगस्त 2025 से घरों को हर महीने पहले 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना शुरू की जाएगी। यह योजना राज्य के करीब 1.67 करोड़ परिवारों के लिए है।
इस पहल से क्या लाभ होगा?
- पटना समेत पूरे राज्य में घरेलू बिजली बिलों में तत्काल बड़ा छूट मिलेगी।
- कुछ गरीब परिवारों के लिए मुख्यमंत्री कुटीर ज्योति योजना के तहत सोलर पैनल मुफ्त लगाए जाएंगे, जिससे वे भविष्य में स्वावलंबी हो सकेंगे।
लेकिन क्या बिहार यह उठाने का कसूर कर सकता है?
- नितीश सरकार साल 2024–25 में इस सुविधा पर ₹15,343 करोड़ खर्च कर चुकी है, जो राज्य की विकास व्यवस्था का करीब 50% हिस्सा है।
- इसके चलते वित्तीय घाटा बढ़ने और कर्ज बढ़ने का भी खतरा है। RBI ने चेताया है कि ऐसी योजनाएँ राजनीतिक लाभ के लिए सामाजिक अवसर खो सकती हैं।
राजनीतिक खेल या जनहित?
- ये घोषणा राज्य में चुनाव प्रचार का हिस्सा मानी जा रही है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसे ‘copycat’ रणनीति बताया, दिल्ली के केजरीवाल मॉडल की नकल कहा गया।
- वहीं, JDU ने इसे “उपभोक्ताओं के लिए उपहार” कदम बताया, जिससे लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी।
भविष्य में क्या हो सकता है?
- सोलर पैनल योजना के तहत अगले तीन वर्षों में 10,000 मेगावाट सोलर ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है।
- लेकिन सवाल ये है कि क्या राज्य की कमज़ोर टैक्स बेस और बढ़ती अर्थव्यवस्था इस खर्च को नियमत: सहन कर पाएंगी?
नितीश कुमार का यह चुनावी कदम लाखों घरों के लिए राहत की बात है, लेकिन इसकी लागत और दीर्घकालिक स्थिरता सवालों के घेरे में है।
यह जरूरी है कि आने वाले महीनों में सरकार राजकोषीय स्वास्थ्य, कर्ज और विकास योजनाओं को संतुलन के साथ आगे बढ़ाए।