गाजियाबाद में सावन के नाम पर हिंदू रक्षा दल का प्रदर्शन, KFC और नज़ीर रेस्टोरेंट पर हंगामा, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

गाजियाबाद में सावन के नाम पर हिंदू रक्षा दल का प्रदर्शन, KFC और नज़ीर रेस्टोरेंट पर हंगामा, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
गाजियाबाद में सावन के नाम पर हिंदू रक्षा दल का प्रदर्शन, KFC और नज़ीर रेस्टोरेंट पर हंगामा, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के इंदिरापुरम क्षेत्र में हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को KFC और नज़ीर रेस्टोरेंट के सामने जबरदस्त हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सावन के पवित्र महीने में नॉनवेज की दुकानें खुलना धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। इस विरोध के दौरान कार्यकर्ताओं ने दुकानों का शटर जबरन बंद कराया, रेस्टोरेंट के भीतर घुसकर धमकाया और ग्राहकों के सामने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें प्रदर्शनकारी दुकान के अंदर जाते और ‘देश हिंदुओं का है, और हिंदुओं के हिसाब से चलेगा’ जैसे नारे लगाते नजर आ रहे हैं। वहीं, मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जिसने किसी भी तरह की तत्काल कार्रवाई नहीं की।

पुलिस ने लिया एक्शन

हंगामे और जबरन दुकान बंद कराने की घटना के बाद पुलिस हरकत में आई है। इंदिरापुरम थाने में तैनात एक दरोगा की तहरीर पर 8 से 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि इन लोगों ने बिना किसी अनुमति के दुकान के अंदर घुसकर धमकी दी, कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की और धार्मिक माहौल को प्रभावित किया।

धार्मिक भावना या कानून हाथ में लेना?

हिंदू रक्षा दल का कहना है कि उन्होंने पहले ही रेस्टोरेंट संचालकों को सावन में नॉनवेज न बेचने की चेतावनी दी थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कोई धार्मिक मान्यता कानून के ऊपर है? और क्या किसी संगठन को यह अधिकार है कि वह अपने धार्मिक आधार पर दूसरों के व्यापार पर रोक लगाए, वो भी उस स्थिति में जब सरकारी तौर पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है?

विरोध पर सवाल

इस पूरे प्रकरण में यह भी सवाल उठा कि क्या यह विरोध सिर्फ कांवड़ मार्ग पर सीमित रहना चाहिए या फिर हर जगह नॉनवेज दुकानों को बंद करने की कोशिश की जाएगी? प्रदर्शनकारियों के पास इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं था, जिससे यह साफ होता है कि यह विरोध संगठित धार्मिक दबाव बनाने की एक कोशिश हो सकती है।

गाजियाबाद की यह घटना न केवल धार्मिक असहिष्णुता का एक उदाहरण बनकर उभरी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे कुछ समूह अपने धार्मिक विचारों को दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं। कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है, और किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

पुलिस द्वारा दर्ज किया गया मुकदमा अब देखना होगा कि इन अज्ञात प्रदर्शनकारियों की पहचान कर आगे क्या कार्रवाई की जाती है और क्या प्रशासन भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है।