
पटना: बिहार सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव करते हुए मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की जगह प्रत्यय अमृत को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है। सरकार ने इसकी अधिसूचना पहले ही जारी कर दी है, जबकि मौजूदा मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा 31 अगस्त 2025 को रिटायर होने वाले हैं।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने यह फैसला रिटायरमेंट से पूरे 27 दिन पहले ही ले लिया है। अब प्रत्यय अमृत को 1 सितंबर 2025 से मुख्य सचिव के तौर पर पदभार संभालना है, लेकिन उन्हें तुरंत प्रभाव से OSD (Officer on Special Duty) के रूप में मुख्य सचिव कार्यालय में तैनात भी कर दिया गया है।
प्रत्यय अमृत: नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारी
1991 बैच के IAS अधिकारी प्रत्यय अमृत को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी अधिकारी माना जाता है। फिलहाल वे बिहार के विकास आयुक्त के पद पर तैनात हैं और साथ ही स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव का भी प्रभार संभाल रहे हैं।
राज्य प्रशासन में विकास आयुक्त को मुख्य सचिव के बाद दूसरे नंबर का पद माना जाता है। ऐसे में प्रत्यय अमृत का प्रमोशन पहले से ही तय माना जा रहा था, लेकिन सरकार ने उनके नाम की घोषणा इतनी पहले कर देना एक असामान्य और सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले बदला प्रशासनिक नेतृत्व
यह प्रशासनिक फैसला ऐसे समय लिया गया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो, लेकिन सभी राजनीतिक दल प्रचार में जुट चुके हैं। ऐसे में मुख्य सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर बदलाव को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?
समय से पहले मुख्य सचिव की घोषणा ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सरकार आखिर इतनी जल्दी में क्यों है?
क्या यह कदम आगामी चुनावों से जुड़ा है?
क्या प्रत्यय अमृत को अभी से मुख्य सचिव कार्यालय में OSD बनाना किसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार सरकार ऐसे अफसर को मुख्य सचिव बनाना चाहती थी, जो न केवल उनके भरोसेमंद हों, बल्कि चुनावी तैयारियों के बीच प्रशासन को दबाव में भी कुशलता से संभाल सकें।
नए प्रशासनिक अध्याय की शुरुआत
प्रत्यय अमृत अब जल्द ही बिहार प्रशासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। उनकी नियुक्ति यह साफ संकेत देती है कि नीतीश सरकार चुनाव से पहले प्रशासनिक ढांचे को चाक-चौबंद करना चाहती है। अब देखना यह होगा कि प्रत्यय अमृत इस नई भूमिका में क्या बदलाव लाते हैं और बिहार के आगामी राजनीतिक और प्रशासनिक माहौल पर इसका क्या असर पड़ता है।