कोलकाता: गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में उस समय भारी हंगामा हो गया जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बीच प्रवासी बंगालियों पर कथित अत्याचारों को लेकर तीखी बहस के बाद झड़प हो गई। इस झड़प में बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष घायल हो गए और उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया।
शंकर घोष को दिनभर के लिए सदन से निलंबित किया गया, लेकिन उन्होंने सदन छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे हालात बिगड़ गए और मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस दौरान दोनों पक्षों के विधायक एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, जिससे सदन की कार्यवाही ठप हो गई।
बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल को भी सदन से निलंबित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने महिला मार्शलों को बुलाकर उन्हें बाहर निकाला। इसके अलावा बीजेपी के तीन और विधायक — अशोक डिंडा, बामकिन घोष और मिहिर गोस्वामी — को भी निलंबित किया गया। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से उन पर पानी की बोतलें फेंकी गईं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी उन राज्यों में प्रवासी बंगालियों पर हो रहे हमलों पर चर्चा नहीं चाहती जहां वह सत्ता में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बीजेपी बंगाल विरोधी है।
टीएमसी सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी की सोच तानाशाही और औपनिवेशिक है और वह बंगाल को अपनी कॉलोनी बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी भ्रष्टाचारियों की पार्टी है, वोट चोरों की पार्टी है। संसद में भी उन्होंने देखा कि कैसे हमारे सांसदों को सीआईएसएफ के जरिए परेशान किया गया। बंगाल विरोधी बीजेपी को हटाओ, देश बचाओ।
ममता बनर्जी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब इस सदन में बीजेपी का एक भी विधायक नहीं बचेगा। जनता उन्हें सत्ता से बाहर कर देगी। मोदी और अमित शाह की केंद्र सरकार भी बहुत जल्द गिर जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है और आगामी चुनावों से पहले राज्य में टीएमसी और बीजेपी के बीच टकराव और तेज होने की आशंका है।