Ram Jethmalani Death Anniversary: धारदार वकील, बिंदास नेता, जानिए कैसा रहा राम जेठमलानी का सफ़र

Ram Jethmalani Death Anniversary: धारदार वकील, बिंदास नेता, जानिए कैसा रहा राम जेठमलानी का सफ़र
Ram Jethmalani Death Anniversary: धारदार वकील, बिंदास नेता, जानिए कैसा रहा राम जेठमलानी का सफ़र

नई दिल्ली: आज भारत के महान विधिवेत्ता राम जेठमलानी की पुण्यतिथि है। एक ऐसा नाम, जो अदालतों में अपनी धारदार दलीलों और राजनीति में अपने बेबाक बयानों के लिए सदैव याद किया जाएगा। वकालत की दुनिया में 75 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले जेठमलानी ने न केवल न्यायालय में बल्कि संसद में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी।

जब लालू के लिए बने ‘चाचा’ वकील

2016 में जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने राम जेठमलानी को राज्यसभा भेजा, तो देशभर की राजनीति में हलचल मच गई थी। न वे बिहार से थे और न ही पार्टी से जुड़े, लेकिन वजह साफ थी चारा घोटाले में फंसे लालू प्रसाद यादव की पैरवी। दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने इस केस के लिए महज 1 रुपये की फीस ली। हालांकि इसके पीछे एक अनोखी शर्त भी थी, लालू के साथ कभी-कभार जाम छलकाने की।

लालू यादव ने खुद स्वीकार किया था, “चाचा खिलाते हैं, पिलाते हैं, और जिताते भी हैं।” दोनों के बीच निजी और पेशेवर संबंधों की मधुरता अदालत से बाहर भी चर्चा का विषय बनी रही।

विभाजन के बाद भारत आए, करियर बना मुंबई में

राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (अब पाकिस्तान में) हुआ था। कराची में वकालत की शुरुआत करने के बाद भारत विभाजन के दौरान मुंबई आ गए और वहीं से उन्होंने दोबारा अपनी विधिक यात्रा शुरू की। तेज-तर्रार दलीलों और बेमिसाल तर्कशक्ति के दम पर वे जल्द ही देश के शीर्ष वकीलों में शुमार हो गए।

विवादों और चर्चाओं से भरा राजनीतिक सफर

जेठमलानी का राजनीतिक सफर भी उनकी वकालत जितना ही रोमांचक रहा। वे 1988 में राज्यसभा के सदस्य बने और बाद में वाजपेयी सरकार में कानून मंत्री भी रहे। हालांकि वे अपनी ही पार्टी की नीतियों की आलोचना करने से नहीं चूकते थे।

2004 में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से लोकसभा चुनाव भी लड़ा, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद 2010 में भाजपा ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा भेजा। मगर बेबाक बयानों के कारण उन्हें 2013 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

जब संजय दत्त को बेल दिलाई, फिर बोले सांसद बनने लायक नहीं

राम जेठमलानी ने अपने करियर में नानावटी केस, इंदिरा गांधी के हत्यारों, हर्षद मेहता, आसाराम, और अफजल गुरु जैसे विवादास्पद मामलों में भी वकालत की। उन्होंने संजय दत्त का भी केस लड़ा और उन्हें 1993 मुंबई धमाकों के मामले में जमानत दिलवाई। लेकिन जब संजय दत्त राजनीति में उतरने लगे, तो जेठमलानी ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि वे “देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।”

बाद में उन्हें अपनी इस टिप्पणी का पछतावा हुआ। एक बार दिल्ली एयरपोर्ट पर संजय दत्त से मुलाकात के दौरान वे भावुक हो गए और कहा “बेटा, मैंने तुम्हारे साथ अन्याय किया। कृपया मुझे माफ कर दो।” यह एक ऐसा क्षण था, जो राम जेठमलानी के व्यक्तित्व की संवेदनशीलता को भी उजागर करता है।

राम जेठमलानी केवल एक वकील नहीं थे, वे एक संस्था थे। उन्होंने न केवल कानून की किताबों को बोलना सिखाया, बल्कि अदालत की दीवारों के भीतर इंसाफ को जीने का भी तरीका बताया। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देना, एक ऐसे युग को याद करना है, जो शब्दों और तर्कों की ताकत से देश को प्रभावित करता रहा।