श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में हुए एक विवाद ने शुक्रवार को बड़ा राजनीतिक मोड़ ले लिया, जब मस्जिद परिसर में लगाई गई एक नवीनीकरण पट्टिका को कुछ लोगों ने विकृत कर दिया। इस पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ अंकित था, जिसे लेकर स्थानीय लोगों और नेताओं में रोष फैल गया।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय प्रतीक को धार्मिक स्थल पर लगाने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया, जबकि राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इसे राष्ट्र की गरिमा के खिलाफ हमला बताते हुए गहरी नाराजगी जाहिर की।
उमर अब्दुल्ला ने जताई आपत्ति, PSA के इस्तेमाल पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“आख़िर इस पत्थर और प्रतीक की ज़रूरत क्या थी? क्या काम अपने आप में पर्याप्त नहीं था?”
उन्होंने यह भी आलोचना की कि पहले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई और फिर विरोध करने वालों पर सख्त कानून, जैसे कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगाया गया।
“पहले आप लोगों की धार्मिक भावना आहत करते हैं, फिर उन पर कड़ी कार्रवाई करते हैं। इसका क्या औचित्य है?”
राज्यपाल सिन्हा का सख्त रुख
राज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अशोक प्रतीक राष्ट्र की संप्रभुता और गौरव का प्रतीक है और इस तरह के कृत्य बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“हजरतबल दरगाह में नवीनीकरण पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक के साथ की गई तोड़फोड़ से अत्यंत आहत हूं। यह न केवल हमारी राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुंचाता है, बल्कि कानून व्यवस्था को भी चुनौती देता है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
वक्फ बोर्ड ने भी दी कड़ी प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरकशां अंद्राबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटना को संविधान पर हमला करार देते हुए कहा:
“ये सिर्फ एक पत्थर नहीं टूटा, ये हमारे संविधान पर चोट है। इन लोगों पर PSA जैसी सख्त धाराएं लगनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जो लोग धार्मिक स्थल पर प्रतीक का विरोध कर रहे हैं, क्या वे करंसी नोटों पर बने प्रतीक को भी खारिज करते हैं?
पुलिस ने दर्ज किया मामला
श्रीनगर पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है और जांच जारी है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, घटनास्थल से कुछ वीडियो फुटेज भी जुटाए गए हैं, जिनकी जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
हजरतबल: धार्मिक आस्था और राजनीतिक संवेदना का केंद्र
गौरतलब है कि हजरतबल दरगाह में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब का पवित्र अवशेष सुरक्षित रखा गया है, जो इसे कश्मीर की सबसे पवित्र जगहों में से एक बनाता है। ऐसे में यहां किसी भी विवाद का धार्मिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर व्यापक असर पड़ता है।
इस घटना ने एक बार फिर से कश्मीर की धार्मिक पहचान और राष्ट्रीय प्रतीकों के बीच संतुलन को लेकर बहस को तेज कर दिया है। जहां एक पक्ष इसे राष्ट्रभक्ति का प्रतीक मानता है, वहीं दूसरा पक्ष धार्मिक स्थल की निरपेक्षता और संवेदनशीलता की बात करता है। आने वाले दिनों में यह विवाद राजनीतिक गलियारों और सामाजिक बहसों में गहराता दिख सकता है।