Nepal GenZ Protest: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे GenZ, 14 की मौत, सेना तैनात

Nepal GenZ Protest: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे GenZ, 14 की मौत, सेना तैनात
Nepal GenZ Protest: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे GenZ, 14 की मौत, सेना तैनात

काठमांडू: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब भीषण जन आंदोलन का रूप ले चुका है। सोमवार को राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों में जनरेशन ज़ी (Gen Z) के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 42 से अधिक घायल हुए हैं। देश के कई हिस्सों में कर्फ्यू लागू है और हालात बेकाबू होने के कारण सेना की तैनाती करनी पड़ी है।

सोशल मीडिया बैन से भड़का युवा आक्रोश

नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, यूट्यूब और स्नैपचैट जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को प्रतिबंधित कर दिया। सरकार का दावा है कि इन कंपनियों ने देश में पंजीकरण और कर अदायगी को लेकर तय नियमों का पालन नहीं किया। सरकार के अनुसार, कई बार चेतावनी देने के बाद भी ये प्लेटफॉर्म्स स्थानीय कानून का सम्मान नहीं कर रहे थे।

इस प्रतिबंध के बाद से ही देशभर में युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा, खासकर उन युवाओं का जो सोशल मीडिया को अभिव्यक्ति का मंच मानते हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह प्रतिबंध लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।

संसद भवन पर हमला, आगजनी और गोलीबारी

सोमवार को हजारों की भीड़ ने काठमांडू के मैतीघर से मार्च शुरू किया और जबरन न्यू बानेश्वर स्थित संसद भवन परिसर में घुस गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद के मुख्य द्वार पर तोड़फोड़ की और परिसर में आगजनी भी की।

स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देख पुलिस ने आंसू गैस, वॉटर कैनन और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि पुलिस ने भीड़ पर असली गोलियां चलाईं, जिससे कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

बढ़ते तनाव के बीच सेना की तैनाती और कर्फ्यू

काठमांडू, पोखरा, भैरहवा, बुटवल और ईटहरी में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। संसद भवन के पास हुए संघर्ष में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से एक की मौत संसद भवन के भीतर हुई। अधिकांश मृतक युवक प्रदर्शनकारी हैं।

नेपाल सेना को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मैदान में उतारा गया है। अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस या सार्वजनिक गतिविधि पर रोक है।

सरकार का पक्ष: “कानून की अनदेखी नहीं की जा सकती”

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बयान जारी कर कहा कि, “हम सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जो कंपनियां नेपाल में व्यापार कर रही हैं, उन्हें कानून का पालन करना होगा। स्वतंत्रता का अर्थ अराजकता नहीं है।” उन्होंने इस मुद्दे को राष्ट्र की संप्रभुता और गरिमा से जोड़ते हुए कहा कि सरकार पीछे नहीं हटेगी।

सीमा पर भारत भी सतर्क

नेपाल में उत्पन्न उथल-पुथल को देखते हुए भारत ने भी नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ा दी है। सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने भारत-नेपाल सीमा पर अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं और स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है।

कलाकारों और आम नागरिकों का समर्थन

नेपाल के लोकप्रिय अभिनेता हरी बंसा आचार्य, Madan Krishna Shrestha, और गायक प्रकाश सपुत ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। कई कलाकारों ने युवाओं को शांतिपूर्वक विरोध जारी रखने और सरकार से जवाबदेही की मांग करने का आह्वान किया है।

नेपाल इस समय एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, जहां युवाओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सरकार का नियमन और नियंत्रण आमने-सामने हैं। सोशल मीडिया का सवाल अब एक आर्थिक या तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों का मुद्दा बन चुका है। आगामी दिनों में नेपाल सरकार का अगला कदम और जनता की प्रतिक्रिया इस संघर्ष की दिशा तय करेगी।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।