Jagdeep Dhankhar की चुप्पी टूटी, राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनते ही दिया बड़ा बयान, इस्तीफे के बाद पहला बयान

Jagdeep Dhankhar की चुप्पी टूटी, राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनते ही दिया बड़ा बयान, इस्तीफे के बाद पहला बयान
Jagdeep Dhankhar की चुप्पी टूटी, राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनते ही दिया बड़ा बयान, इस्तीफे के बाद पहला बयान

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की शानदार जीत के बाद देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। जुलाई में पद से इस्तीफा देने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक बयान है। उन्होंने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि “आपका चयन राष्ट्र के जनप्रतिनिधियों के विश्वास को दर्शाता है।”

धनखड़ ने एक आधिकारिक पत्र में लिखा,

“आपके विशाल सार्वजनिक अनुभव से यह गरिमामयी पद और अधिक श्रद्धा और गौरव प्राप्त करेगा।”

ध्यान रहे, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते उपराष्ट्रपति चुनाव समय से पहले कराना पड़ा।

भारी जीत दर्ज कर उपराष्ट्रपति बने राधाकृष्णन

सी.पी. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिले। 15 वोट अमान्य घोषित किए गए। राधाकृष्णन की जीत पहले से तय मानी जा रही थी, लेकिन लगभग 15 विपक्षी सांसदों द्वारा क्रॉस वोटिंग ने इस नतीजे को और चर्चित बना दिया।

राधाकृष्णन का विजयी संदेश:

“अगर 2047 तक विकसित भारत चाहिए, तो हर चीज में राजनीति ढूंढना बंद करना होगा। चुनाव के बाद राजनीतिक मतभेद भूलकर देश के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”

उन्होंने विपक्ष और सत्तारूढ़ दल दोनों को लोकतंत्र का अहम हिस्सा बताया और कहा कि उनकी भूमिका को वे समान रूप से मान्यता देंगे।

सियासी बयानबाज़ी भी तेज

  • बीजेपी की ओर से अमित मालवीय ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “सभी 315 ने वोट दिया… लेकिन किसे दिया?”
  • जवाब में कांग्रेस के जयराम रमेश ने पलटवार करते हुए कहा, “बीजेपी अंकगणित में जीती है, नैतिकता में नहीं।”
  • बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी पर तंज कसा, “राहुल जी, इस बार चुनाव बैलेट पेपर से हुए हैं।”

यह परिणाम न केवल एनडीए की राजनीतिक पकड़ को दर्शाता है, बल्कि राधाकृष्णन के प्रति भरोसे और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। और धनखड़ का यह स्वागतयोग्य बयान सत्ता हस्तांतरण की मर्यादा को भी मजबूती से स्थापित करता है।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।