उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद राहुल बोले- विपक्ष एकजुट है, लेकिन क्रॉस वोटिंग ने खोल दी पोल

उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद राहुल बोले- विपक्ष एकजुट है, लेकिन क्रॉस वोटिंग ने खोल दी पोल
उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद राहुल बोले- विपक्ष एकजुट है, लेकिन क्रॉस वोटिंग ने खोल दी पोल

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के नतीजे भले ही एनडीए के पक्ष में गए हों, लेकिन असली चर्चा क्रॉस वोटिंग को लेकर हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि “विपक्ष अब भी मजबूती से एकजुट है।” हालांकि, चुनाव नतीजों में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे इस दावे से बिल्कुल मेल नहीं खाते।

क्या है पूरा मामला?

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव कराया गया। एनडीए ने तमिलनाडु से आने वाले वरिष्ठ नेता सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा, जबकि विपक्षी इंडिया गठबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया।

चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिसमें से 752 वोट वैध पाए गए। बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा था 377 वोट।

नतीजे और क्रॉस वोटिंग की गूंज

राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को केवल 300 वोट ही प्राप्त हुए। यानी एनडीए उम्मीदवार को अपेक्षित संख्या से 20 अधिक वोट मिले। इसका सीधा मतलब है कि करीब 20 सांसद, जिनका संबंध इंडिया गठबंधन से बताया जा रहा था, उन्होंने एनडीए के पक्ष में वोटिंग की।

इससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर विपक्ष वास्तव में एकजुट था, जैसा राहुल गांधी ने दावा किया, तो फिर इतनी बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग कैसे हुई?

विपक्षी एकता पर संकट?

राहुल गांधी का बयान उस वक्त आया है जब नतीजे विपक्षी एकता पर प्रत्यक्ष सवाल उठा रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन की तमाम पार्टियों के भीतर कुछ सांसदों की नाराजगी या वैचारिक दूरी ऐसी स्थिति का कारण बनी हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक वोटिंग घटना नहीं, बल्कि विपक्ष की आंतरिक कमजोरी और सामूहिक अनुशासन की कमी को उजागर करने वाला संकेत है।

क्या विपक्ष करेगा आत्ममंथन?

अब बड़ा सवाल ये है कि क्या इंडिया गठबंधन इस नतीजे से सबक लेकर अपने भीतर विश्वास की बहाली कर पाएगा? क्या वह यह पहचान सकेगा कि उसके भीतर दरार कहां है?
वरना 2026 में होने वाले राज्यों के चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी घटनाएं विपक्ष की राजनीतिक साख को और कमजोर कर सकती हैं।

राहुल गांधी का बयान विपक्ष के आत्मविश्वास को दिखाता है, लेकिन चुनावी आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव ने एक बार फिर विपक्षी एकता की हकीकत को आईने में दिखा दिया है। अब देखना है कि इंडिया गठबंधन इस आईने में खुद को पहचान पाता है या नहीं।

Digikhabar Team
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