
भोपाल/चेन्नई: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई 23 बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। विशेष जांच टीम (SIT) ने बुधवार-गुरुवार की रात तमिलनाडु के चेन्नई में दबिश देकर श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया है। रंगनाथन लंबे समय से फरार था और उस पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित था। यह गिरफ्तारी मामले की जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा रही है।
छिंदवाड़ा से शुरू हुई थी त्रासदी
इस भयावह घटना की शुरुआत सितंबर महीने में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया इलाके से हुई थी। 7 सितंबर के बाद अचानक एक-एक कर बच्चों की मौत होने लगी। 23 सितंबर तक करीब 6 बच्चों की मौत हो चुकी थी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और जांच शुरू हुई। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि सभी बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हुई और सभी ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप सेवन किया था।
लैब रिपोर्ट से खुला जहरीले सिरप का राज
जांच का दायरा बढ़ते हुए तमिलनाडु तक पहुंचा, जहां यह सिरप श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा कांचीपुरम जिले में तैयार किया गया था। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग ने जब कंपनी के उत्पाद की जांच की तो 3 अक्टूबर को आई लैब रिपोर्ट ने चौंका दिया। रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल मौजूद था, जबकि इसकी स्वीकार्य सीमा 0.1% से भी कम होनी चाहिए। यह वही रसायन है जो किडनी को तेजी से फेल कर देता है और कई अंतरराष्ट्रीय मौतों के मामलों में भी इसका नाम सामने आ चुका है।
मध्य प्रदेश सरकार ने लगाया प्रतिबंध
जहरीले केमिकल की पुष्टि के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 4 अक्टूबर को कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही, सिरप लिखने वाले परासिया के सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी और श्रीसन फार्मा के संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। डॉक्टर सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया, जिस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने विरोध दर्ज किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर असली दोषी कंपनी और निगरानी तंत्र को ठहराया।
जांच में सामने आई गंभीर लापरवाही
एसआईटी की जांच में यह भी सामने आया कि श्रीसन फार्मा ने दवा निर्माण में नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड का केमिकल इस्तेमाल किया था। फैक्ट्री में गंदगी के बीच दवाएं बनाई जा रही थीं और गुणवत्ता नियंत्रण की घोर अनदेखी की गई थी। इस लापरवाही ने 23 मासूम बच्चों की जान ले ली और देश की फार्मा इंडस्ट्री की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
मामले ने राजनीतिक रंग भी लिया, जब मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने तमिलनाडु सरकार पर कार्रवाई में लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह एक राज्य नहीं, बल्कि पूरे देश की स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था का मामला है।
गिरफ्तारी से उम्मीदें
मुख्य आरोपी गोविंदन रंगनाथन की गिरफ्तारी से अब उम्मीद जताई जा रही है कि मामले की तह तक पहुंचा जा सकेगा और दोषियों को सजा दिलाई जा सकेगी। फिलहाल SIT रंगनाथन से पूछताछ कर रही है और फैक्ट्री संचालन से जुड़े दस्तावेजों व सप्लाई चैन की जांच कर रही है।
इस त्रासदी ने देश में दवा निर्माण और वितरण पर नियंत्रण की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। यह मामला अब केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे फार्मा सिस्टम की जवाबदेही तय करने का आधार बन सकता है।