बैंक की एक गलती के कारण एक किसान के खाते में आये 9900 करोड़ रुपये, जानें पूरी खबर
बैंक की एक गलती के कारण एक किसान के खाते में आये 9900 करोड़ रुपये, जानें पूरी खबर
दुर्गागंज थाना क्षेत्र के अर्जुनपुर गांव के रहने वाले भानु प्रकाश बिंद के बैंक खाते में शुक्रवार को 9900 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा हो गए। इसके बाद बैंक ने खाता फ्रीज कर दिया है और जांच शुरू कर दी है।
अर्जुनपुर गांव में रहने वाले भानु प्रकाश ने जब सुरियावां स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा ग्रामीण बैंक की शाखा में अपने बैंक खाते में इतनी बड़ी रकम जमा देखी तो वह हैरान रह गए। गुरुवार को उन्होंने अपना बैलेंस चेक किया और पाया कि उनके खाते में 99,999,945,999.99 रुपये (9900 करोड़ रुपये से ज्यादा) जमा हैं। अप्रत्याशित भाग्य से स्तब्ध भानु ने तुरंत बैंक अधिकारियों को सूचित किया। शाखा प्रबंधक आशीष तिवारी ने बताया कि भानु प्रकाश के पास केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) खाता है और उसने कर्ज लिया था, जो एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) हो गया था.
अधिकारियों ने तुरंत खाते को फ्रीज करने की कार्रवाई की, जिससे किसी भी लेनदेन को रोक दिया गया। उन्होंने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि भानु के खाते में इतनी बड़ी रकम कैसे ट्रांसफर हुई।
जिसके बाद बैंक के ऊपर कई सवाल खड़े होते हैं की आखिर सॉफ़्टवेयर को किसने डिज़ाइन किया जिसके कारण ऐसा हुआ? उक्त सॉफ़्टवेयर की कमज़ोरियाँ क्या थीं? क्या फॉरेंसिक टीम समय पर बैंक पहुंची? अगर फोरेंसिक टीम पहुंची तो उसकी संरचना और उनकी संबंधित विशेषज्ञता क्या थी? क्या सॉफ्टवेयर पर वीए/पीटी (वल्नरेबिलिटी असेसमेंट एंड पेनेट्रेशन टेस्टिंग) किया गया था और परिणाम क्या था? बैंक का अंतिम आईएस (सूचना सुरक्षा) ऑडिट कब हुआ था और पैनल में शामिल किस एजेंसी ने इसे आयोजित किया था?
ReBIT (रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी), IDRBT (बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विकास और अनुसंधान संस्थान), साइबर मुख्यालय, यूपी पुलिस, I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र), CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम) की एक संयुक्त टीम। नाबार्ड और एनसीआईआईपीसी (नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर) को पूरी तरह से जांच करनी चाहिए क्योंकि छोटी रकम भी बिना ध्यान दिए हस्तांतरित की जा सकती है।