प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (30 मई 2024) को आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के समापन के बाद 45 घंटे के ध्यान के लिए विवेकानंद रॉक मेमोरियल में जाएंगे. पीएम के आगमन और उनके कार्यक्रम को लेकर वहां तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं. पीएम मोदी के ध्यान के दौरान कड़ी निगरानी रखने के लिए करीब 2,000 पुलिसकर्मियों और सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया जाएगा.
तय कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी 30 मई की शाम से 1 जून की शाम तक वह ध्यान करेंगे. इन दो दिनों तक समुद्र तट पर पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गुरुवार से शनिवार तक समुद्र तट पर्यटकों के लिए बंद रहेगा और प्राइवेट बोट्स (नावों) को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पीएम मोदी वहां हेलीकॉप्टर से पहुंचेंगे. हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग का ट्रायल किया जा चुका है.
रिपोर्टों के अनुसार, पीएम मोदी सबसे पहले तिरुवनंतपुरम पहुंचेंगे और वहां से एमआई-17 हेलीकॉप्टर से कन्याकुमारी जाएंगे. पीएम के वहां पहुंचने का समय शाम करीब 4:35 बजे है. वहां वह सूर्यास्त देखेंगे और फिर ध्यान में बैठेंगे. वह 1 जून को दोपहर 3:30 बजे कन्याकुमारी से लौटेंगे.
विवेकानंद रॉक क्यों?
पीएम मोदी के ध्यान के लिए इस स्थान को इसलिए चुना गया है क्योंकि माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद को यहीं दिव्य दर्शन प्राप्त हुए थे. बीजेपी नेताओं के अनुसार, पीएम मोदी ने ध्यान के लिए जिस चट्टान को चुना, उसका विवेकानंद के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा और यह भिक्षु के जीवन में गौतम बुद्ध के लिए सारनाथ के समान ही महत्व रखता है. यहीं पर विवेकानंद देश भर में घूमने के बाद पहुंचे थे और तीन दिनों तक ध्यान करने के बाद उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था.
पीटीआई के हवाले से बीजेपी के एक नेता ने कहा, “उसी स्थान पर ध्यान करना स्वामी जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.” नेता ने कहा कि इस स्थान को पवित्र ग्रंथों में देवी पार्वती की ओर से भगवान शिव के लिए ध्यान करने के स्थान के रूप में भी बताया गया है.
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध
नरेंद्र मोदी की ‘ध्यान साधना से कांग्रेस को बड़े नुकसान का डर हो सकता है। शायद इसीलिए पीएम मोदी के कन्याकुमारी दौरे को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री 48 घंटे की मौन अवधि के दौरान ‘मौन व्रत’ रख रहे हैं, जब किसी को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मौन व्रत आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। हमने चुनाव आयोग के सामने दो मांगें रखी हैं। पहली ये कि पीएम मोदी अपना मौन व्रत चुनाव अवधि से 24 या 48 घंटे बाद शुरू करें। एक जून के बाद से वो किसी भी तरह का आध्यात्मिक मौन व्रत कर सकते हैं, अगर वो चाहें तो। दूसरी ये कि अगर प्रधानमंत्री 30 मई से मौन व्रत शुरू करते हैं कि इसके मीडिया प्रसारण पर रोक होनी चाहिए। सिंघवी का कहना है कि ये या तो प्रचार जारी रखने या फिर खुद को सुर्खियों में बनाए रखने के हथकंडे हैं। जिसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी चुनाव आयोग में जाने की धमकी दे रही हैं। ममता बनर्जी कहती हैं कि अगर प्रधानमंत्री मोदी का कन्याकुमारी में ध्यान का प्रसारण किया गया तो तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग से शिकायत करेगी। ममता का आरोप है कि ये आचार संहिता का उल्लंघन होगा।