
नागपुर में एक 47 वर्षीय मनोवैज्ञानिक, जो दो बच्चों का पिता है, उसने 15 वर्षों के दौरान 50 से अधिक लड़कियों के साथ यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
गांवों में शिविरों की आड़ में अपराध
आरोपी ग्रामीण क्षेत्रों, जैसे भंडारा और गोंदिया में, परामर्श और व्यक्तिगत विकास शिविरों का आयोजन करता था। इन शिविरों में उसने नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया करता था। पुलिस के अनुसार, आरोपी उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें लेकर उन्हें ब्लैकमेल करता था, जिससे लड़कियां खामोश रहने पर मजबूर हो जाती थीं।
स्थानीय महिलाओं का भी शोषण
यह मामला सिर्फ शिविरों तक सीमित नहीं था। आरोपी ने अपने मोहल्ले की महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया। उसके खिलाफ सीसीटीवी फुटेज में भी प्रमाण मिले हैं। बावजूद इसके, जब लोगों ने विरोध किया और यहां तक कि आरोपी को मारा, तब भी उसकी हरकतें जारी रहीं।
पीड़िता की शिकायत से खुला मामला
मामला तब सामने आया जब एक पूर्व छात्रा, जो बार-बार धमकियों का सामना कर रही थी, उसने हुडकेश्वर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं, जिनमें पॉक्सो अधिनियम और अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत धाराएं शामिल हैं।
पुलिस की अपील और कार्रवाई
पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है और अन्य पीड़िताओं से सामने आकर शिकायत दर्ज करने की अपील की है। अधिकारी आरोपी के पिछले 15 वर्षों के रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं।
समाज के लिए सबक
यह मामला समाज को जागरूक रहने और पीड़ितों को समर्थन देने की जरूरत को रेखांकित करता है। ऐसे अपराधों के खिलाफ मिलकर आवाज उठाना आवश्यक है।
“यह लड़ाई उन मासूम सपनों के लिए है, जो शोषण और खामोशी में दबा दिए गए। अब वक्त है कि हर पीड़ित को न्याय मिले।”