मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम, केंद्र सरकार और कुकी-जो समूहों के बीच नया समझौता, जानें क्या है समझौते में

मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम, केंद्र सरकार और कुकी-जो समूहों के बीच नया समझौता
मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम, केंद्र सरकार और कुकी-जो समूहों के बीच नया समझौता

नई दिल्ली: मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा और अस्थिरता के बीच केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने गुरुवार को कुकी-जो (Kuki-Zo) समूहों के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत सभी पक्षों ने मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों और कुकी-जो काउंसिल के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह सहमति बनी।

इस समझौते के तहत कुकी-जो काउंसिल ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को खोलने का निर्णय लिया है, जिससे आम नागरिकों और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही सुचारू रूप से हो सकेगी। यह राजमार्ग लंबे समय से बंद था और मणिपुर में आर्थिक गतिविधियों और राहत कार्यों पर इसका गहरा असर पड़ा था। अब इसके फिर से खुलने से सामान्य जनजीवन को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

समझौते के तहत कुकी-जो संगठनों ने अपने सशस्त्र कैंपों को संवेदनशील क्षेत्रों से हटाने और केंद्र द्वारा तैनात सुरक्षा बलों के साथ मिलकर शांति व्यवस्था बनाए रखने का वादा किया है। ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस’ (SoO) समझौते को भी संशोधित किया गया है और इसके तहत ज़मीन पर लागू नियमों में कई अहम बदलाव किए गए हैं। अब नामित कैंपों की संख्या घटाई जाएगी, हथियारों को नजदीकी सीआरपीएफ या बीएसएफ कैंपों में स्थानांतरित किया जाएगा और सशस्त्र सदस्यों का सख्त सत्यापन किया जाएगा ताकि यदि कोई विदेशी नागरिक शामिल हो, तो उसे सूची से हटाया जा सके।

इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक संयुक्त निगरानी समिति (Joint Monitoring Group) का गठन किया जाएगा जो यह सुनिश्चित करेगी कि सभी नए नियमों का पालन हो। अगर किसी भी पक्ष द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया तो SoO समझौते की समीक्षा की जा सकती है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, समझौते में जिन बिंदुओं पर सहमति बनी है, उनमें सात नामित कैंपों को संघर्ष संभावित क्षेत्रों से हटाना, कैंपों की संख्या में कमी करना, हथियारों को नजदीकी अर्धसैनिक बलों के कैंपों में स्थानांतरित करना और कैडरों का कठोर सत्यापन शामिल है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर की संभावित यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। वह पहले मिजोरम जाएंगे, जहां वे बैराबी से सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद उनके मणिपुर पहुंचने की संभावना है। हालांकि इम्फाल के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पीएम मोदी की यात्रा को लेकर कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन सुरक्षा तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

गौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है, जिसकी जड़ें राज्य की दो प्रमुख जातीय समुदायों — बहुसंख्यक मेइती और अल्पसंख्यक कुकी — के बीच भूमि अधिकार और सामाजिक-राजनीतिक प्रभुत्व को लेकर संघर्ष में निहित हैं। विवाद तब और बढ़ गया जब मेइती समुदाय ने जनजातीय दर्जा मांगा, जिसका कुकी समुदाय ने विरोध किया। उनका तर्क था कि मेइती पहले से ही राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से प्रभावशाली हैं और यदि उन्हें जनजातीय दर्जा मिल गया, तो वे कुकी-बहुल क्षेत्रों में भूमि खरीद सकेंगे और वहां बस भी सकेंगे।

हिंसा की वजह से अब तक लगभग 60 लोगों की जान जा चुकी है। स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहने पर राज्य में 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था।

इस नए समझौते से उम्मीद की जा रही है कि मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम साबित होगा और राज्य में स्थायी शांति की बहाली की प्रक्रिया को गति मिलेगी।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।