नई दिल्ली/मऊ: मऊ सदर से विधायक और गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण के मामले में बड़ी कानूनी सजा मिली है। मऊ स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने शनिवार को अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई है और ₹2000 का जुर्माना भी लगाया है।
2022 चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ बयान
अब्बास अंसारी पर आरोप था कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अधिकारियों को धमकाते हुए कहा था कि उनकी सरकार बनने के बाद “पुराने हिसाब बराबर किए जाएंगे।” इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में भारी विरोध हुआ था और चुनाव आयोग ने उन पर 24 घंटे के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध भी लगाया था।
भाई मंसूर अंसारी भी दोषी
इस मामले में अब्बास अंसारी के साथ उनके भाई मंसूर अंसारी को भी दोषी पाया गया है। दोनों पर सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक और भड़काऊ बयानबाजी करने का आरोप था, जिससे सामाजिक वैमनस्य फैलने की आशंका थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और पहला चुनाव
अब्बास अंसारी ने 2022 का विधानसभा चुनाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर लड़ा था। उस समय SBSP का गठबंधन समाजवादी पार्टी (SP) के साथ था। उन्होंने मऊ सदर सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया। चुनाव के बाद SBSP ने SP से गठबंधन तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से हाथ मिला लिया।
सजा के राजनीतिक नतीजे
अब्बास अंसारी की यह सजा सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी गंभीर असर डाल सकती है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) के तहत, यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो वह सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जब तक कि ऊपरी अदालत से राहत न मिले। अब्बास अंसारी की कानूनी टीम अब इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकती है।
यह फैसला न सिर्फ अब्बास अंसारी की राजनीतिक यात्रा पर असर डालेगा, बल्कि यह संदेश भी देता है कि चुनावी मंच पर की गई उत्तेजक और गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी को न्यायपालिका गंभीरता से ले रही है। अब देखना होगा कि ऊपरी अदालतों में इस फैसले को किस रूप में चुनौती दी जाती है।