नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से रखने की शुरुआत कर दी है। इस वैश्विक अभियान के तहत भारत से सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों का दौरा करेंगे। इनमें से तीन प्रतिनिधिमंडल बुधवार को विदेश रवाना हो गए।
पहले प्रतिनिधिमंडल श्रीकांत शिंदे
इस प्रतिनिधिमंडल का पहला पड़ाव संयुक्त अरब अमीरात (UAE) है, जिसके बाद यह टीम कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं:
- BJP सांसद बांसुरी स्वराज, मनन कुमार मिश्रा, एसएस अहलूवालिया
- BJD सांसद सस्मित पात्र
- IUML सांसद ईटी मोहम्मद बशीर
- और पूर्व राजदूत सुजन चिनॉय
दूसरा प्रतिनिधिमंडल संजय झा
JDU सांसद संजय झा के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल 22 मई को जापान, 24 मई को दक्षिण कोरिया, 27 मई को सिंगापुर, 28 मई को इंडोनेशिया, और 31 मई को मलेशिया का दौरा करेगा। इसमें शामिल हैं:
- BJP नेता अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रदन बरुआ, डॉ. हेमांग जोशी
- TMC सांसद अभिषेक बनर्जी
- CPM सांसद जॉन ब्रिटास
- कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद
- और वरिष्ठ राजनयिक मोहन कुमार
तीसरे प्रतिनिधिमंडल की कमान DMK सांसद कनिमोझी
यह टीम 22 मई को रूस, 25 मई को स्लोवेनिया, 27 मई को ग्रीस, 29 मई को लातविया और 31 मई को स्पेन जाएगी। इसमें शामिल हैं:
- सपा नेता राजीव राय
- नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद
- BJP नेता कैप्टन बृजेश चौटा
- RJD के प्रेमचंद गुप्ता
- AAP सांसद अशोक कुमार मित्तल
- और राजनयिक मंजीव पुरी व जावेद अशरफ
मिशन का उद्देश्य
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को पहले प्रतिनिधिमंडल को ब्रीफ किया। शेष प्रतिनिधिमंडलों को बुधवार को ब्रीफ किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने पाकिस्तान के लगातार आतंकवाद को समर्थन देने और 26/11, पठानकोट (2016), और हालिया पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद की उसकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
प्रतिनिधिमंडल क्या करेंगे?
इन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य विभिन्न देशों में
- सांसदों, मंत्रियों, अधिकारियों, थिंक टैंकों और मीडिया समूहों से मिलेंगे और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखेंगे। साथ ही भारत की नई रणनीति – “नई सामान्य नीति” (New Normal) को भी स्पष्ट करेंगे, जिसके तहत भारत अब आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करता है।
राजनीतिक संतुलन
इन 7 प्रतिनिधिमंडलों में कुल 51 राजनीतिक नेता शामिल हैं, जिनमें से 31 सत्तारूढ़ NDA गठबंधन से हैं, जबकि 20 गैर-NDA दलों से हैं। इससे भारत ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि आतंकवाद पर राष्ट्रीय एकजुटता सर्वोपरि है, राजनीति नहीं।
भारत का यह अभूतपूर्व वैश्विक अभियान यह दर्शाता है कि अब देश आतंकवाद के खिलाफ न सिर्फ सीमाओं पर लड़ रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उसे बेनकाब कर निर्णायक कूटनीतिक दबाव बना रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह मिशन भारत की नई सुरक्षा नीति और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक मजबूत कदम है।