
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां आठवीं कक्षा के कुछ छात्रों ने अपने शिक्षक से बदला लेने के लिए स्कूल के वॉशरूम में विस्फोटक लगा दिया। इस धमाके में चौथी कक्षा की एक छात्रा बुरी तरह झुलस गई। पुलिस जांच में सामने आया कि इस साजिश में शामिल पांच छात्रों में तीन लड़कियां भी थीं।
कैसे हुआ ब्लास्ट?
बिलासपुर के सेंट विसेंट पलोटी हायर सेकेंडरी स्कूल में 21 फरवरी को यह घटना घटी। जब चौथी कक्षा की 10 वर्षीय छात्रा स्तुति वॉशरूम गई और उसने फ्लश दबाया, तभी अचानक विस्फोट हो गया। धमाके में बच्ची गंभीर रूप से झुलस गई और उसे तुरंत बर्न केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना के बाद पूरे स्कूल में हड़कंप मच गया।
छात्रों की साजिश का पर्दाफाश
पुलिस जांच में पता चला कि आठवीं और नौवीं कक्षा के पांच छात्रों ने तीन दिन तक इस ब्लास्ट की योजना बनाई थी। दरअसल, एक शिक्षक ने कुछ छात्रों को डांट दिया था, जिससे नाराज होकर उन्होंने यह खतरनाक कदम उठाया। उन्होंने ऑनलाइन ऑर्डर कर सोडियम प्राप्त किया और उसे वॉशरूम की टंकी में फिट कर दिया। जैसे ही पानी के संपर्क में आया, विस्फोट हो गया।
कैसे पकड़े गए आरोपी छात्र?
स्कूल में धमाके के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और छात्रों से पूछताछ की। पूछताछ में खुलासा हुआ कि एक छात्र ने अपनी आंटी के ऑनलाइन अकाउंट से पटना से सोडियम मंगवाया था। पहले तो उनका निशाना शिक्षक थे, लेकिन दुर्भाग्य से चौथी कक्षा की छात्रा इसकी चपेट में आ गई।
पुलिस की कार्रवाई
बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह के मुताबिक, चार आरोपी छात्रों को हिरासत में लेकर पुनर्वास गृह भेज दिया गया है। वहीं, पांचवीं छात्रा को भी जल्द ही किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा।
अभिभावकों का गुस्सा और स्कूल प्रशासन पर सवाल
घटना के बाद गुस्साए अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि इससे पहले भी स्कूल में एक छात्र की बाइक में बम मिला था, लेकिन तब स्कूल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
ऑनलाइन विस्फोटक खरीद पर उठे सवाल
एसपी रजनेश सिंह ने कहा कि इस घटना ने ऑनलाइन विस्फोटकों की खरीद-फरोख्त पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इनकी बिक्री और खरीद के लिए सख्त नियमों की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
निष्कर्ष
यह घटना दर्शाती है कि बच्चों के भीतर बढ़ती आक्रामकता और ऑनलाइन खतरनाक सामग्री तक आसान पहुंच समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस मामले में उचित काउंसलिंग और सख्त नियमों की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।