Champai Soren: भाजपा में शामिल होते ही चंपाई सोरेन का बड़ा बयान कहा,”आदिवासी मुद्दों पर केवल भाजपा संजीदा, बाकी सिर्फ वोट के पीछे

Champai Soren: भाजपा में शामिल होते ही चंपाई सोरेन का बड़ा बयान कहा,
Champai Soren: भाजपा में शामिल होते ही चंपाई सोरेन का बड़ा बयान कहा,"आदिवासी मुद्दों पर केवल भाजपा संजीदा, बाकी सिर्फ वोट के पीछे

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM नेता ने एक्स पर घोषणा की कि वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं, उन्होंने संथाल परगना में आदिवासी पहचान और अस्तित्व की रक्षा को प्राथमिकता देने के लिए भाजपा की प्रशंसा की। उन्होंने अन्य दलों की आलोचना की कि वे केवल वोटों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते। चंपाई सोरेन ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र के लोगों ने उनका पूरा समर्थन किया और उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला नहीं किया है।

उन्होंने ट्वीट में कहा, “पिछले सप्ताह (18 अगस्त) मैंने झारखंड समेत पूरे देश के लोगों के सामने एक पत्र के माध्यम से अपनी बात रखी थी। उसके बाद मैं झारखंड के लोगों से मिलता रहा और उनकी राय जानने की कोशिश करता रहा। कोल्हान क्षेत्र के लोग हर कदम पर मेरे साथ खड़े रहे और उन्होंने संन्यास लेने के विकल्प को खारिज कर दिया।” उन्होंने कहा, “पार्टी में ऐसा कोई मंच/प्लेटफॉर्म नहीं था जहां मैं अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकूं और मुझसे वरिष्ठ नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।”

आदिवासियों की परेशानियों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन धरती संथाल परगना में आज बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ी समस्या बन गई है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि ये घुसपैठिए उन वीरों के वंशजों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं, जिन्होंने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की। इनके कारण फूल-झानो जैसी वीर नारियों को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की अस्मिता खतरे में है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासियों को बचाने के लिए सिर्फ राजनीतिक प्रयास नहीं, बल्कि सामाजिक आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा, “आदिवासियों और मूलवासियों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाने वाले इन घुसपैठियों को अगर नहीं रोका गया तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई इलाकों में इनकी संख्या आदिवासियों से भी ज्यादा हो गई है। हमें राजनीति से हटकर इस मुद्दे को सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बचेगा।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भी भरोसा जताया।

सोरेन ने कहा, “केवल भाजपा ही इस मुद्दे पर गंभीर दिखती है और अन्य दल वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। इसलिए आदिवासियों की पहचान और अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi और गृह मंत्री श्री @AmitShah जी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला किया है।”

उन्होंने अपने समर्थकों से झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़े वर्गों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं और आम जनता के अधिकारों की लड़ाई में उनके साथ शामिल होने को कहा। सोरेन 2 फरवरी से 3 जुलाई तक झारखंड के मुख्यमंत्री थे, जबकि हेमंत सोरेन कथित भूमि घोटाले में जेल में थे। हेमंत को पद पर बहाल करने के लिए चंपई ने इस्तीफा दे दिया। ‘झारखंड के टाइगर’ के रूप में जाने जाने वाले चंपई सोरेन ने झारखंड के राज्य के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे 2000 में दक्षिणी बिहार से झारखंड बनाकर हासिल किया गया था।

उन्होंने 1991 में सरायकेला से एक निर्दलीय विधायक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बाद में वे JMM में शामिल हो गए और 1995 में भाजपा के पंचू टुडू को हराकर फिर से सीट जीती। वे 2000 में हार गए लेकिन 2005 में मामूली अंतर से जीत हासिल कर फिर से सीट पर कब्जा कर लिया। चंपई ने 2009, 2014 और 2019 में फिर से चुनाव जीता। जब 2019 में हेमंत सोरेन ने अपनी दूसरी सरकार बनाई, तो चंपई खाद्य और नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने।

Digikhabar Editorial Team
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