देहरादून: उत्तराखंड की विख्यात चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) 2025 की शुरुआत 30 अप्रैल से होगी। इस दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं। ये चारों तीर्थ स्थल हिमालय की खूबसूरत वादियों में स्थित हैं और भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराते हैं।
चारधाम यात्रा 2025: कपाट खुलने की तिथियां
- गंगोत्री और यमुनोत्री धाम: 30 अप्रैल 2025
- बद्रीनाथ धाम: 4 मई 2025, सुबह 6 बजे
- केदारनाथ धाम: महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025) के दिन की जाएगी तिथि की घोषणा
चारधाम यात्रा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में चारधाम यात्रा को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया गया है। मान्यता है कि इस यात्रा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। इसके अलावा, यह यात्रा आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होती है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्रदान करती है।
चारधाम यात्रा 2025: रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से पंजीकरण होगा।
- कुल 60% रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और 40% ऑफलाइन किए जाएंगे।
- पहले 15 दिनों तक ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 24 घंटे चलेगा, उसके बाद समय मांग के अनुसार बदला जाएगा।
- यदि स्थिति सामान्य रही, तो रजिस्ट्रेशन का समय सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक किया जा सकता है।
- यात्रा को सुगम बनाने के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश में 20 पंजीकरण केंद्र तथा विकासनगर में 15 काउंटर लगाए जाएंगे।
- श्रद्धालु 1 मार्च 2025 से उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं।
चारधाम यात्रा 2025: धामों का परिचय
यमुनोत्री धाम: उत्तरकाशी जिले में स्थित यह मंदिर माता यमुना को समर्पित है। इसे टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने बनवाया था। यहां तक पहुंचने के लिए जानकी चट्टी से 6 किमी पैदल यात्रा करनी होती है।
गंगोत्री धाम: यह मंदिर गंगा माता को समर्पित है और 3,048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमालय की सुंदर वादियों के बीच स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए गहरी आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र है।
केदारनाथ धाम: यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इसे पांडवों ने बनवाया था और आदि शंकराचार्य ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
बद्रीनाथ धाम: भगवान बद्रीनारायण (विष्णु जी) को समर्पित यह मंदिर बद्रीनाथ नगर में स्थित है। यहां विष्णु जी की 3.3 फीट ऊंची प्राचीन काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है, जो वैदिक काल की बताई जाती है।
यात्रा की तैयारी है जरूरी
चारधाम यात्रा एक कठिन लेकिन आध्यात्मिक रूप से उत्थान करने वाली यात्रा है। ऊंचाई और दुर्गम रास्तों के कारण श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। यात्रियों को समय पर पंजीकरण कराने, सही मार्गदर्शन लेने, आवश्यक उपकरण साथ रखने और मेडिकल चेकअप कराने की सलाह दी जाती है।
चारधाम यात्रा 2025 के लिए श्रद्धालु बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। अगर आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जल्दी ही पंजीकरण करवाकर अपनी योजना बना लें।