हैदराबाद में सरोगेसी के नाम पर राजस्थान के एक दंपति के साथ की गई धोखाधड़ी ने सनसनी फैला दी है। सिकंदराबाद स्थित सृष्टि टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर और उसकी संचालिका डॉ. नम्रता पर गंभीर आरोप लगे हैं। डीसीपी रश्मि पेरुमल और डीएमएचओ वेंकट ने इस मामले में मीडिया के समक्ष चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
राजस्थान के एक दंपति ने सरोगेसी के जरिए संतान की चाह में डॉ. नम्रता से संपर्क किया था। डॉ. नम्रता ने 30 लाख रुपये की मांग की और दंपति को विजयवाड़ा स्थित अपने दूसरे केंद्र भेजा, जहां डॉ. करुणा और सोनाली की देखरेख में जांच हुई और पति के शुक्राणु लिए गए। इसके बाद उन्हें विशाखापट्टनम की एक महिला को दिखाया गया और फिर 30 लाख रुपये वसूले गए। बाद में सिजेरियन का हवाला देकर 10 लाख रुपये और ले लिए गए।
कुछ समय बाद जब बच्चे की सेहत बिगड़ने लगी और वह माता-पिता से भिन्न दिखने लगा, तो दंपति को शक हुआ। जब उन्होंने डीएनए जांच की मांग की, तो डॉ. नम्रता ने न केवल इनकार किया बल्कि उन्हें धमकाया भी। उन्होंने कहा कि उनका पति वकील है और अवैध सरोगेसी के आरोप में उन्हें फंसा दिया जाएगा। इसके बावजूद, दंपति ने दिल्ली की एक लैब में डीएनए परीक्षण कराया, जिसमें खुलासा हुआ कि बच्चे का जैविक पिता दंपति का पति नहीं है।
इस खुलासे के बाद दंपति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि दिल्ली की एक महिला, जो असम की निवासी थी और गर्भवती थी, उसे विशाखापत्तनम लाकर उसका प्रसव कराया गया और 90,000 रुपये में बच्चा खरीदकर राजस्थान के दंपति को दे दिया गया। इसे एक सरोगेट बच्चा बताकर ठग लिया गया।
पुलिस ने इस मामले में डॉ. नम्रता और सृष्टि टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के अन्य कर्मचारियों के खिलाफ बाल तस्करी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। डीसीपी ने कहा कि डॉ. नम्रता को हिरासत में लेने के बाद और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। पुलिस अब उन सभी दंपतियों से संपर्क कर रही है जो इस केंद्र के जरिए सरोगेसी की प्रक्रिया में शामिल हुए थे।
डीएमएचओ वेंकट ने यह भी बताया कि सृष्टि टेस्ट ट्यूब सेंटर 2020 में ही बंद कर दिया गया था और तब से यह अवैध रूप से बिना किसी मेडिकल काउंसिल की अनुमति के दो राज्यों में संचालित हो रहा था। नए सरोगेसी कानूनों के अनुसार केवल परिवार के सदस्य ही सरोगेसी कर सकते हैं, लेकिन केंद्र ने इस कानून का उल्लंघन करते हुए कई मामलों में धोखाधड़ी की है।
मामले में गांधी अस्पताल के डॉ. सदानंद की भी भूमिका की जांच की जा रही है, जो इस अवैध केंद्र में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के रूप में कार्य कर रहे थे। चिकित्सा विभाग और पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी हुई हैं, जिसमें सरोगेसी की आड़ में बच्चों की तस्करी की जा रही थी।