कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अब अपनी नयी रक्षा रणनीति के तहत भूमि पर शांतिपूर्ण रणनीति अपनाए, लेकिन पानी को युद्ध के हथियार की तरह उपयोग करे, विशेषकर ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों पर बड़े बांध बनाकर। इसका उद्देश्य सीमावर्ती देशों को आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से दबाव में रखना बताया जा रहा है।
चीन का ब्रह्मपुत्र बांध प्रोजेक्ट
चीन तीन गोरज डैम से भी बड़ा बाँध बनाना चाहता है, जिसे मेदोग (Tibet) में बना जा रहा है। अनुमान है कि यह परियोजना वार्षिक 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली उत्पन्न करेगी, लेकिन यह भारत और बांग्लादेश जैसे downstream देशों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकती है। चीन की बांध-निति को असामान्य तरीके से हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की धारणा बढ़ रही है।
पानी के माध्यम से असममित रणनीति (Hydraulic Warfare)
आपातकालीन स्थिति में चीन बहाव रोक के अचानक बाढ़ या सुखा देना जैसी रणनीतियाँ अपना सकता है, जिसे “हाइड्रॉलिक वारफेयर” कहा जाता है। उदाहरण स्वरूप, 2017 में चीन ने देश में बाढ़ चेतावनी प्रणाली को कमजोर करने के लिए भारत को जल‑डेटा उपलब्ध होना बंद कर दिया था, जिससे असम और उत्तर प्रदेश में जान-माल की भारी क्षति हुई।