नई दिल्ली: राहुल गांधी की हालिया विदेश यात्राएं एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार राजनीतिक कारणों से नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के बार-बार उल्लंघन पर चिंता जताई है।
सीआरपीएफ ने 10 सितंबर को भेजे पत्र में बताया कि राहुल गांधी की यात्राएं जैसे इटली, लंदन, मलेशिया, वियतनाम, दुबई और कतर बिना तय कार्यक्रम और सुरक्षा एजेंसियों को पूर्व सूचना दिए हुईं, जिससे उनकी सुरक्षा में कई बार खामियां आईं।
जेड प्लस सुरक्षा में भी लापरवाही
सीआरपीएफ के अनुसार, राहुल गांधी को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, जिसमें एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (ASL) की अनिवार्यता होती है। इस सुरक्षा व्यवस्था के तहत, संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को वीवीआईपी की यात्रा की विस्तृत जानकारी पहले से दी जानी चाहिए, ताकि देश या विदेश में उनके लिए जरूरी सुरक्षा इंतजाम किए जा सकें।
पत्र में कहा गया है कि इन मानकों का बार-बार उल्लंघन न केवल राहुल गांधी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि यह पूरी वीवीआईपी सुरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़ा करता है।
येलो बुक प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य
भारत सरकार के येलो बुक प्रोटोकॉल के अनुसार, जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त किसी भी व्यक्ति को अपनी गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को समय से देनी होती है। इसमें निजी और राजनीतिक दोनों तरह की यात्राएं शामिल होती हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि राहुल गांधी द्वारा इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है।
सीआरपीएफ ने पत्र में विशेष रूप से कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया है कि भविष्य में इस तरह की यात्राओं से पहले सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया की संभावना
इस पत्र के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी इसे राजनीतिक दबाव या निगरानी के रूप में भी देख सकती है।
वहीं, सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई वीवीआईपी व्यक्ति सुरक्षा व्यवस्था को हल्के में लेता है, तो इससे उसकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है, और एजेंसियों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन जाती है।