‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में गरमाई बहस: प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और अमित शाह के तीखे बयान

'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में गरमाई बहस: प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और अमित शाह के तीखे बयान
'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में गरमाई बहस: प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और अमित शाह के तीखे बयान

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में मंगलवार को तीखी बहस देखी गई। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयानों ने सदन की कार्यवाही को गरमा दिया।

प्रियंका गांधी का सरकार पर हमला

लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा, “जब सरकार दावा करती है कि कश्मीर से आतंकवाद खत्म हो गया है, तो फिर बाइसारन घाटी में आतंकी क्या कर रहे थे?” उन्होंने बाइसारन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की कमी पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि जब हमला हुआ, तो वहां कोई सुरक्षा बल तैनात क्यों नहीं था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री की जिम्मेदारी नहीं बनती कि आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो?”

प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि गृहमंत्री ने अपने भाषण में नेहरू और इंदिरा गांधी की चर्चा की, यहां तक कि सोनिया गांधी के आंसुओं का भी जिक्र किया, लेकिन यह नहीं बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान के खिलाफ युद्धविराम क्यों किया गया। उन्होंने सरकार पर ‘खोखले भाषण’ देने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश को अब असली जवाब चाहिए।

अखिलेश यादव ने उठाए युद्धविराम पर सवाल

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब हमारी सेना पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को तबाह कर रही थी, तब सरकार ने अचानक युद्धविराम क्यों घोषित किया? उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “जब टीवी चैनलों को देखकर ऐसा लगने लगा था कि कराची और लाहौर भी हमारे हो जाएंगे, तो सरकार पीछे क्यों हट गई?”

उन्होंने दावा किया कि इस युद्धविराम की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, जिससे यह जाहिर होता है कि सरकार ने किसी ‘मित्र’ से यह घोषणा करवाने की योजना बनाई थी। अखिलेश ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को खुफिया विफलता का प्रतीक बताया और पूछा कि आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी पहले क्यों नहीं मिली। उन्होंने ‘ऑपरेशन महादेव’ की टाइमिंग पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि सरकार राजनीतिक लाभ के लिए कार्रवाई की टाइमिंग चुन रही है।

अनुराग ठाकुर का कांग्रेस पर तीखा हमला

बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “पाकिस्तान का बचाव अब पाकिस्तान खुद बाद में करता है, पहले कांग्रेस के नेता करते हैं।” उन्होंने राहुल गांधी को पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का ‘पोस्टर बॉय’ करार दिया और कहा कि कांग्रेस के अंदर इतने पाकिस्तान समर्थक हैं कि पार्टी अब ‘इस्लामाबाद नेशनल कांग्रेस’ बन गई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने हमेशा सेना का अपमान किया है और सेना प्रमुख को ‘सड़क का गुंडा’ तक कहा। ठाकुर ने यह भी कहा कि जब पहलगाम हमले में निर्दोषों से धर्म पूछकर उन्हें मारा गया, तब विपक्ष का कोई सांसद उसकी सांप्रदायिक क्रूरता पर एक शब्द नहीं बोला।

शशि थरूर ने पार्टी लाइन से किया किनारा

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की आलोचना करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर को सफल मानते हैं और संसद में यही बात दोहराएंगे। पार्टी के आलोचनात्मक रुख से असहमति जताते हुए उन्होंने बहस में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। संसद परिसर में पूछे गए सवालों पर उन्होंने केवल दो शब्द कहे: “मौनव्रत, मौनव्रत।”

अमित शाह ने विपक्ष पर बोला हमला

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जोर देकर कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकवादी अड्डों को निशाना बनाकर 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। उन्होंने कहा कि “यह मनमोहन सिंह की सरकार नहीं है, जो खामोश बैठ जाती थी। हमने आतंकियों को वहीं मारा जहां उन्हें सबसे ज्यादा चोट लगे।”

शाह ने कहा कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई के अधिकारी मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में मौजूद थे, जिससे साफ है कि भारत ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम पर भी हमला करते हुए पूछा, “आप पाकिस्तान को बचाकर क्या पाएंगे? हमारे पास सबूत हैं कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे—यहां तक कि उनके वोटर आईडी और पाकिस्तान निर्मित चॉकलेट भी मिले हैं।”

शाह ने कांग्रेस पर ऐतिहासिक भूलों के लिए भी निशाना साधा और कहा, “आज पीओके इसलिए है क्योंकि नेहरू ने गलती की। 1960 में पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते में 80 प्रतिशत पानी दे दिया। 1971 में शिमला समझौते के समय भी पीओके को वापस लेने की कोशिश नहीं की।” ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में हुई बहस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद, सुरक्षा और पाकिस्तान के मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद बेहद तीखे हैं। जहां सरकार इसे एक सफल सैन्य कार्रवाई बता रही है, वहीं विपक्ष खुफिया विफलता, राजनीतिक लाभ और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।