नई दिल्ली: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय नागरिकों के निर्वासन में भारी उछाल देखने को मिला है। विदेश मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, ट्रंप के जनवरी 2025 में पदभार संभालने के बाद से अब तक 1,703 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है। यह संख्या पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
2020 से दिसंबर 2024 के बीच जहां प्रतिदिन औसतन तीन भारतीयों को निर्वासित किया गया था, वहीं 2025 में यह औसत बढ़कर आठ प्रतिदिन तक पहुंच गया। जनवरी 2020 से जुलाई 2025 के बीच कुल 7,244 भारतीय नागरिकों को अलग-अलग कारणों से अमेरिका से निकाला गया है, जिनमें से लगभग एक चौथाई केवल 2025 में ही वापस भेजे गए।
ट्रंप प्रशासन की सख्त आव्रजन नीति
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने के साथ ही अमेरिकी आव्रजन नीति और भी कड़ी हो गई है। अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि वीजा धारकों की सख्ती से जांच की जा रही है और यदि कोई भी नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसका वीजा रद्द कर दिया जाता है और उसे तुरंत निर्वासित कर दिया जाता है।
कैसे की गई वापसी
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस साल निर्वासित किए गए 1,703 भारतीयों में से 864 को चार्टर और सैन्य उड़ानों के ज़रिए भारत भेजा गया। अमेरिकी सीमा शुल्क और सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी, मार्च, जून और जुलाई में छह अलग-अलग उड़ानों के ज़रिए सैकड़ों भारतीयों को जबरन भारत भेजा।
इसके अलावा 747 नागरिकों को व्यावसायिक उड़ानों से वापस भेजा गया, जबकि पनामा जैसे देशों से 72 लोगों को भी भारत लाया गया।
किन राज्यों के लोग हुए सबसे ज्यादा डिपोर्ट
राज्यवार आंकड़ों पर नज़र डालें तो सबसे अधिक 620 नागरिक पंजाब से निर्वासित हुए। हरियाणा से 604, गुजरात से 245, उत्तर प्रदेश से 38, गोवा से 26, महाराष्ट्र और दिल्ली से 20-20, तेलंगाना से 19, तमिलनाडु से 17, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड से 12-12 तथा कर्नाटक से 5 लोग अमेरिका से निकाले गए।
ट्रंप की कड़ी आव्रजन नीति भारतीयों पर भारी पड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में निर्वासित होने वालों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन अमेरिका में ‘कानून व्यवस्था और सुरक्षा’ को सबसे बड़ी प्राथमिकता के रूप में पेश कर रहा है। विदेश मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय नागरिक कानूनी दायरे में रहते हुए ही अमेरिका यात्रा करें ताकि भविष्य में उन्हें निर्वासन जैसी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।