
नई दिल्ली: 19 साल की युवा शतरंज प्रतिभा दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया में फिडे वीमेंस विश्व कप का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। सोमवार को दिव्या ने अनुभवी कोनेरू हंपी को हराकर न केवल विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया, बल्कि ग्रैंडमास्टर बनने वाली भारत की सिर्फ चौथी महिला खिलाड़ी बन गईं।
विश्व चैंपियन बनने के साथ ही दिव्या को करीब 43 लाख रुपये इनाम के तौर पर प्राप्त होंगे, जबकि उपविजेता कोनेरू हंपी को लगभग 30 लाख रुपये मिलेंगे। विभिन्न स्रोतों के अनुसार, जून 2025 तक दिव्या देशमुख की नेटवर्थ 1 से 2 करोड़ रुपये के बीच थी, जो अब करीब ढाई करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
दिव्या देशमुख का जन्म 2 दिसंबर 2005 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने मात्र 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया। उनके पिता का नाम जितेंद्र और माता का नाम नम्रता है। वर्ष 2012 में उन्होंने अंडर-7 राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था।
दिव्या ने साल 2021 में भारत की 21वीं महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया। इसके बाद 2023 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मास्टर का खिताब भी जीता। 2024 में उन्होंने विश्व जूनियर गर्ल्स (अंडर-20) चैंपियनशिप जीती और उसी वर्ष लंदन में विश्व टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी हो वाइफान को पराजित किया था।
फिडे वीमेंस विश्व कप में कोनेरू हंपी को हराकर दिव्या देशमुख ने पहली बार यह खिताब जीतने वाली भारतीय महिला खिलाड़ी बनकर शतरंज के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा लिया है। उनकी यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि भारतीय महिला शतरंज के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।