मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति उस समय गर्मा गई जब शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वे मुंबई स्थित विधायकों के हॉस्टल की कैंटीन के कर्मचारी को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहे हैं। यह घटना कथित तौर पर खाने की गुणवत्ता को लेकर हुई, जिससे न सिर्फ आम जनता में आक्रोश है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
मुख्यमंत्री फडणवीस का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को “अस्वीकार्य” और “मानवता के खिलाफ” बताया। महाराष्ट्र विधान परिषद में बोलते हुए उन्होंने कहा,
“एक विधायक का ऐसा आचरण न केवल उसकी अपनी छवि खराब करता है, बल्कि पूरी विधायिका की गरिमा पर भी सवाल खड़ा करता है।”
उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से उत्तरदायित्व और अनुशासन का पालन करने की अपील की और कहा कि शिकायतें दर्ज कराने के लिए उचित प्रक्रिया और संस्थागत माध्यम मौजूद हैं, हिंसा का सहारा लेना किसी भी रूप में उचित नहीं।
अनिल परब के आरोपों का जवाब
यह बयान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के नेता अनिल परब द्वारा उठाए गए मुद्दे के जवाब में आया, जिन्होंने सत्ताधारी गठबंधन पर राजनीतिक घमंड और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया। फडणवीस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“ऐसा व्यवहार जनता को विधायकों की शक्ति और सोच के बारे में गलत संदेश देता है।”
उद्धव ठाकरे ने किया किनारा, बताया षड्यंत्र
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस घटना से खुद को अलग करते हुए साफ कहा कि संजय गायकवाड़ उनके गुट से नहीं बल्कि एकनाथ शिंदे गुट से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक बड़ी साजिश है जिससे मुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
“संजय गायकवाड़ मेरे गुट से नहीं हैं। यह जानबूझकर किया गया षड्यंत्र है। शिंदे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन नहीं बन पाए, इसलिए अब ऐसे कृत्यों से माहौल को अस्थिर कर रहे हैं,” ठाकरे ने कहा।
शिंदे ने भी जताया असहमति
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने भी विधायक के व्यवहार की आलोचना करते हुए कहा कि
“संजय गायकवाड़ को कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी, हिंसा का रास्ता नहीं।”
क्या है मामला?
मंगलवार रात को विधायक संजय गायकवाड़ ने आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल की कैंटीन में बासी भोजन परोसे जाने की शिकायत पर कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया। वायरल वीडियो में वे बिलिंग काउंटर पर बैठे कर्मचारी को बोलते-बोलते थप्पड़ मारते और बिल चुकाने से इनकार करते दिख रहे हैं।
गायकवाड़ ने मीडिया से कहा,
“मैं पहले भी दो-तीन बार शिकायत कर चुका था, लेकिन इस बार भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब थी। मैं यह मुद्दा विधानसभा में उठाऊंगा।”
इस घटना ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर सत्ता और जनप्रतिनिधियों की नैतिक ज़िम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर सत्ता पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, वहीं आम जनता इस बात पर चिंतित है कि अगर विधायकों का ऐसा व्यवहार है, तो व्यवस्था में आम नागरिकों की क्या जगह है?