
गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। कविनगर इलाके में एक किराए के मकान में चार काल्पनिक देशों के दूतावास चल रहे थे, जिसे देखकर कोई भी धोखा खा जाए। इस फर्जी दूतावास में न सिर्फ डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली लग्जरी गाड़ियां खड़ी रहती थीं, बल्कि विदेश मंत्रालय की मुहर वाले फर्जी दस्तावेज भी बनाए गए थे। STF ने इस कार्रवाई में आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया है।
एक ही घर से चार देशों की ‘एंबेसी’
STF की नोएडा यूनिट द्वारा की गई छापेमारी में खुलासा हुआ कि आरोपी हर्षवर्धन जैन वेस्ट आर्कटिक, साबोर्गा, पोल्विया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों के नाम पर फर्जी एंबेसी चला रहा था। वह खुद को इन देशों का राजदूत बताता था और लोगों को विदेश में काम दिलाने, वीजा दिलाने तथा अन्य कूटनीतिक सुविधाओं का झांसा देकर ठगी करता था।
बरामद हुई फर्जी दस्तावेजों की भरमार
STF ने हर्षवर्धन के घर से भारी मात्रा में नकली दस्तावेज और विदेशी मुद्रा जब्त की है। जांच में निम्नलिखित सामान बरामद हुआ:
- डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी 4 लग्जरी गाड़ियां
- 12 फर्जी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट
- विदेश मंत्रालय की मुहर वाले कूटरचित दस्तावेज
- 2 फर्जी पैनकार्ड
- 34 फर्जी मोहरें (विभिन्न देशों और कंपनियों की)
- 2 फर्जी प्रेस कार्ड
- 44 लाख 70 हजार रुपये कैश
- कई देशों की विदेशी मुद्रा
- 18 डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट
- डायरी में बैंक खातों और लोगों के फोन नंबरों की सूची
- 12 महंगी घड़ियां, एक लैपटॉप और एक मोबाइल फोन
खुद को बताता था डिप्लोमैट, करता था हवाला और फर्जीवाड़ा
हर्षवर्धन जैन केवल दस्तावेजों से ही नहीं, बल्कि छवि बनाने में भी माहिर था। वह प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपनी मॉर्फ की गई तस्वीरों का इस्तेमाल करता था ताकि लोगों को अपने प्रभाव में ले सके। उसके संबंध पहले चंद्रास्वामी और अदनान खगोशी (एक कुख्यात इंटरनेशनल आर्म्स डीलर) से भी रहे हैं।
उसका मुख्य धंधा था – लोगों को विदेश भेजने के नाम पर वीजा व दलाली करना, फर्जी कंपनियों के माध्यम से हवाला रैकेट चलाना, और फर्जीवाड़े से मोटी कमाई करना।
STF कर रही आगे की जांच
STF के अनुसार, यह मामला बहुस्तरीय और अंतरराज्यीय ठगी से जुड़ा हो सकता है। आरोपी के विदेशी नेटवर्क और बैंक खातों की जांच की जा रही है। इस बात की भी जांच हो रही है कि कहीं वह आतंकी या मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क से तो नहीं जुड़ा था।