पंजाब-हरियाणा सीमा पर पिछले नौ महीने से किसानों का विरोध जारी है, और अब उन्होंने दिल्ली की ओर अपना मार्च फिर से शुरू कर दिया है। ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से गारंटी देने की मांग कर रहे हैं और शुक्रवार को संसद पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
13 फरवरी से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं, और अब 101 किसानों का एक समूह शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर मार्च करेगा। इस समूह का नेतृत्व किसान नेता सुरजीत सिंह फूल, सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह चौटाला, बलजिंदर सिंह चडियाला और मंजीत सिंह कर रहे हैं। हालांकि, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर शंभू बॉर्डर पर ही रहेंगे और दिल्ली नहीं जाएंगे। पंधेर ने बताया कि इस बार वे ट्रैक्टर की बजाय पैदल मार्च करेंगे, ताकि पहले की तरह उनके ट्रैक्टरों पर संशोधन का आरोप न लगे।
इस विरोध को लेकर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। हरियाणा के अंबाला जिले में 9 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और भारी बैरिकेड्स लगाए गए हैं। प्रशासन ने पांच या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। पुलिस का कहना है कि वे स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
किसान मुख्य रूप से MSP की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि न करने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, वे 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।
किसान नेताओं ने इस विरोध को शांतिपूर्ण तरीके से करने का वादा किया है और कहा है कि वे लोकतांत्रिक अधिकार के तहत अपना विरोध जताना चाहते हैं। प्रशासन ने उन्हें दिल्ली जाने के लिए दिल्ली पुलिस से अनुमति लेने की सलाह दी है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में कोई अनुमति नहीं दी है।
इस विरोध के कारण अंबाला में सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद कर दिए गए हैं और यातायात में भी बाधाएं आ सकती हैं।