Filmmaker Shyam Benegal का 90 वर्ष की आयु में निधन, 12 की उम्र में बना दिए थे फिल्म

Filmmaker Shyam Benegal का 90 वर्ष की आयु में निधन, 12 की उम्र में बना दिए थे फिल्म
Filmmaker Shyam Benegal का 90 वर्ष की आयु में निधन, 12 की उम्र में बना दिए थे फिल्म

प्रसिद्ध फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का सोमवार को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से किडनी से संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने बताया कि सोमवार शाम करीब 6:30 बजे मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में उनका निधन हो गया।

श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के महान फिल्म निर्माताओं में से एक थे और उन्हें समानांतर सिनेमा आंदोलन की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। उनकी फिल्में भारतीय सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, जिनमें “अंकुर”, “मंडी” और “मंथन” जैसी फिल्मों ने भारतीय फिल्म निर्माण में एक नई दिशा स्थापित की। इन फिल्मों के माध्यम से उन्होंने समाज के गहरे मुद्दों को उजागर किया और दर्शकों को एक नई सोच दी।

बेनेगल का सिनेमा हमेशा एक संवेदनशील और सशक्त दृष्टिकोण से भरा होता था, जो समाज के वास्तविक मुद्दों को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता था। उन्होंने सिनेमा के माध्यम से भारतीय समाज के कई पहलुओं को दिखाया, जो पहले पर्दे पर नजर नहीं आते थे।

हाल ही में, 14 दिसंबर को उन्होंने अपने 90वें जन्मदिन का जश्न मनाया था। इस मौके पर उनके करीबी दोस्त और परिवार के सदस्य मौजूद थे, जिनमें अभिनेता कुलभूषण खरबंदा, नसीरुद्दीन शाह, दिव्या दत्ता, शबाना आज़मी, रजित कपूर, अतुल तिवारी और शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर जैसे मशहूर कलाकार शामिल थे।

श्याम बेनेगल के योगदान को भारत सरकार ने भी मान्यता दी थी। उन्हें 1976 में पद्म श्री और 1991 में पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके कार्यों को आज भी सिनेमा की दुनिया में याद किया जाता है। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने सिनेमा को एक कला के रूप में स्थापित किया।

श्याम बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में हुआ था। वे एक कोंकणी भाषी चित्रपुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता श्रीधर बी. बेनेगल, जो कर्नाटक के एक फोटोग्राफर थे, उन्होंने उन्हें दृश्य कहानी कहने की दुनिया से परिचित कराया। श्याम ने महज 12 साल की उम्र में अपने पिता से उपहार में मिला कैमरा लेकर अपनी पहली फिल्म बनाई थी। हालांकि, उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की, लेकिन उनका दिल सिनेमा में था।

श्याम बेनेगल ने हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की, जो उनकी सिनेमाई यात्रा का पहला कदम था। इसके बाद, उन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास में कई यादगार फिल्में दीं, जिनमें “अंकुर”, “मंथन”, “जुनून”, “सूरज का सातवां घोड़ा”, “मंडी” और अन्य कई सफल फिल्में शामिल हैं।

बेनेगल की फिल्मों ने न केवल फिल्म निर्माताओं को प्रेरित किया, बल्कि दर्शकों को भी नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए मजबूर किया। उनकी कृतियाँ भारतीय सिनेमा में एक नया मोड़ लेकर आईं और हमेशा याद रखी जाएंगी। उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है।

Digikhabar Editorial Team
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