पूर्व चुनाव आयुक्त ने DOGE के बयान को बताया बेबुनियाद, DOGE विवाद और गहराया

पूर्व चुनाव आयुक्त ने DOGE के बयान को बताया बेबुनियाद, DOGE विवाद और गहराया
पूर्व चुनाव आयुक्त ने DOGE के बयान को बताया बेबुनियाद, DOGE विवाद और गहराया

नई दिल्ली: भारत में चुनावी प्रक्रिया में अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर उठे विवाद के बीच पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई कुरैशी ने 21 मिलियन डॉलर की अमेरिकी फंडिंग की खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद और भ्रामक बताया है।

DOGE द्वारा फंडिंग रद्द होने के बाद उठा विवाद

दरअसल, अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने हाल ही में भारत में मतदाता जागरूकता के लिए निर्धारित 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग रद्द करने की घोषणा की थी। इसके बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स और नेताओं ने आरोप लगाए कि भारत के चुनाव आयोग ने 2012 में अमेरिकी एजेंसी से इस फंडिंग के लिए समझौता किया था।

“कोई वित्तीय लेन-देन नहीं हुआ” – कुरैशी

एसवाई कुरैशी ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जब वे 2012 में मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तब भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ एक MoU (समझौता) किया था, लेकिन इसमें किसी भी तरह की फंडिंग या वित्तीय सहायता का कोई प्रावधान नहीं था।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,
“2012 में जब मैं CEC था, तब ECI और IFES के बीच एक MoU साइन हुआ था, लेकिन इसमें फंडिंग का कोई जिक्र तक नहीं था। समझौते में यह साफ लिखा गया था कि किसी भी पक्ष पर कोई वित्तीय या कानूनी दायित्व नहीं होगा।”

कुरैशी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह समझौता केवल ECI के ट्रेनिंग सेंटर ‘इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (IIIDEM)’ के तहत चुनावी प्रक्रिया की ट्रेनिंग देने के लिए किया गया था।

उन्होंने कहा,
“समझौते में दो अलग-अलग जगहों पर स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि इसमें किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी। ऐसे में 21 मिलियन डॉलर की किसी भी फंडिंग की खबर पूरी तरह से झूठी और दुर्भावनापूर्ण है।”

BJP ने फिर उठाया विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा

वहीं, भाजपा नेता नलिन कोहली ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब भारत के चुनावी मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की बात सामने आई हो।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा,
“अमेरिकी एजेंसी को भारत के चुनावी कार्यों के लिए 21 मिलियन डॉलर देने की क्या जरूरत थी? भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए जाते हैं। हमारे पास मजबूत संस्थान और चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र संस्थाएं हैं।”

कैम्ब्रिज एनालिटिका से कांग्रेस के कथित संबंधों का जिक्र

कोहली ने कहा कि इससे पहले भी कांग्रेस पर विदेशी संगठनों के साथ मिलकर भारत के चुनावों में हस्तक्षेप करने के आरोप लग चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसे संगठनों के साथ कांग्रेस ने काम किया था।

उन्होंने आगे कहा,
“अगर किसी को इस फंडिंग से पैसा मिला है, तो उसे स्पष्ट करना चाहिए। इस तरह की विदेशी दखलंदाजी को रोकना लोकतंत्र की स्वतंत्रता के हित में है।”

विदेशी फंडिंग पर बढ़ी बहस

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर भारत की चुनाव प्रक्रिया में विदेशी एजेंसियों की भूमिका को लेकर नई बहस छेड़ दी है। हालांकि, पूर्व CEC कुरैशी के स्पष्ट बयान के बाद यह मामला कितना आगे बढ़ेगा, यह देखना बाकी है।

Digikhabar Editorial Team
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