ईरान में युद्ध जैसी स्तिथी के कारण फंसे भारतीय छात्रों सुरक्षित वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पहला जत्था, जिसमें 110 छात्र शामिल हैं, आर्मीनिया के रास्ते भारत लौटेगा। यह विमान 18 जून को येरवान से दिल्ली के लिए रवाना होगा।
क्या है पूरी स्तिथि?
ईरान में स्तिथ कई मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्र हाल ही में हुए हवाई हमलों और तनावपूर्ण हालात से डरे हुए थे। राजधानी तेहरान और अन्य शहरों से करीब 600 छात्रों को क़ुम शहर में स्थानांतरित किया गया है, जहाँ से उन्हें आगे आर्मीनिया ले जाया जा रहा है।
क्यों चुना गया आर्मीनिया?
ईरान के अधिकतर हवाई अड्डे बंद होने और एयरस्पेस खतरे में होने के चलते भारत सरकार ने वैकल्पिक रास्ता चुना। छात्रों को बसों के माध्यम से ईरान-आर्मीनिया सीमा (नॉर्दुज़ चेकपॉइंट) से पार कराया जा रहा है। वहाँ से वे येरवान हवाई अड्डे से उड़ान भर रहे हैं। तेहरान में पढ़ रहे कई छात्रों ने बताया कि बीते कुछ दिनों से वे धमाकों और सायरनों के बीच सो तक नहीं पाए।
एक छात्र ने बताया कि “हमारे हॉस्टल से 5 किलोमीटर दूर धमाके हो रहे थे। नींद उड़ चुकी है, हर दिन डर में बीत रहा है।”
सरकार की तैयारियां
विदेश मंत्रालय ने 24×7 हेल्पलाइन शुरू की है और छात्रों को पंजीकरण कराने तथा सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार आर्मीनिया और UAE के साथ मिलकर और भी मार्गों पर काम कर रही है, ताकि बाकी छात्रों की जल्द से जल्द घर वापसी हो सके।
बाकी छात्र अभी क़ुम और रैमसर जैसे शहरों में हैं।
जैसे ही अनुमति मिलेगी, उन्हें सीमा पार करा कर येरवान ले जाया जाएगा।
वहां से उनकी फ्लाइट्स भारत के लिए रवाना की जाएंगी।
मुख्य बिंदु:
पहला जत्था 110 छात्रों का, 18 जून को दिल्ली पहुंचेगा
तेहरान से क़ुम और वहां से आर्मीनिया सीमा तक यात्रा
भारत सरकार की MEA हेल्पलाइन सक्रिय
बाकी छात्रों की भी निकासी जल्द